चींटी एवं चन्द्रलोक में प्रथम बार : सुमित्रानन्दन पन्त – पद्यांशों की सन्दर्भ-सहित व्याख्या

 सुमित्रानन्दन पन्त का जीवन परिचय-

चींटी को देखा ?वह है पिपीलिका पाँति !
वह सरल, विरल, काली रेखा
देखो ना, किस भाँति
तम के तागे सी जो हिल-डुल, काम करती वह सतत !
चलती लघुपद पल-पल मिल-जुल कन-कन कनके चुनती अविरत !
चन्द्रलोक में प्रथम बार,
मानव ने किया पदार्पण,
छिन्न हुए लो,देश काल के,
दुर्जय बाधा बंधन !
दिग्-विजयी मनु-सुत,
निश्चय, यह महत् ऐतिहासिक क्षण,
भू-विरोध हो शांत।
निकट आएँ सब देशों के जन
अणु-युग बने धरा जीवन हित
धरा चन्द्र की प्रीति परस्पर
स्वर्ग-सृजन का साधन,
जगत प्रसिद्ध, पुरातन,
मानवता ही विश्व सत्य
हृदय-सिन्धु में उठता
भू-राष्ट्र करें आत्मार्पण!
स्वर्गिक ज्वार देख चन्द्रानन !

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