अन्य शीर्षक- वृक्षारोपण (2018), वृक्षारोपण का महत्त्व (2020, 17), वृक्षों की रक्षा : पर्यावरण सुरक्षा (2020, 13), वृक्षों का महत्त्व (2013, 12, 11); हमारी वन्य सम्पदा
संकेत बिन्दु भूमिका, वनों के प्रत्यक्ष लाभ, वनों से होने वाले अप्रत्यक्ष लाभ, उपसंहार।
भूमिका– मनुष्य का वनों से बहुत पुराना सम्बन्ध है। मनुष्य का प्रारम्भिक आवास वन ही थे। वन हमारी अनेक आवश्यकताओं की पूर्ति करते हैं। वन किसी भी राष्ट्र की उन्नति में सहायक होते हैं, इसलिए भूतपूर्व प्रधानमन्त्री जवाहरलाल नेहरू ने कहा था, “एक उगता हुआ वृक्ष राष्ट्र की प्रगति का जीवित प्रतीक है।”
इस कथन से यह सिद्ध होता है कि राष्ट्र की प्रगति वनों के अस्तित्व से सम्बन्धित है। यदि वन न हों तो हमारा जीवन संकट में पड़ जाएगा, इसलिए यह निश्चित किया गया है कि किसी भी राष्ट्र के 33% भू-भाग पर वनों का होना अनिवार्य है।
वनों के प्रत्यक्ष लाभ– प्रत्यक्ष का अर्थ है- जो स्पष्ट रूप से दिखाई दे रहा है। वनों से हमें बहुत से प्रत्यक्ष लाभ होते हैं अर्थात् उन्हें हम बहुत आसानी से देख सकते हैं। वनो से हमें लकड़ी प्राप्त होती है, जो मुख्यतः ईंधन के रूप में जलाने एवं फर्नीचर बनाने के काम आती है। भारत में वनों से लगभग 550 प्रकार की ऐसी लकड़ियाँ प्राप्त होती हैं, जो व्यापारिक दृष्टि से अत्यन्त महत्त्वपूर्ण होती हैं।
इनका उपयोग फर्नीचर, रेल के डिब्बे, स्लीपर, जहाज आदि बनाने, माचिस बनाने, इमारती कामों आदि में किया जाता है। इस प्रकार वनों से उद्योगों को भी बढ़ावा मिलता है और लोगों को रोज़गार मिलता है। इन से लघु एवं कुटीर उद्योगों को भी प्रोत्साहन मिलता है।
वनों पर आधारित मुख्य कुटीर उद्योग टोकरियाँ व बेंत बनाना, रस्सी बनाना, बीड़ी बाँधना, गोंद एकत्र करना आदि मुख्य हैं। वहीं दूसरी ओर वनों से दुर्लभ जड़ी-बूटियाँ भी मिलती है, जो अनेक रोगों के उपचार में सहायक होती हैं।
वनों से सरकार को भी बहुत लाभ होता है। एक ओर जहाँ इनसे करोड़ों नागरिकों को रोज़गार प्राप्त होता है, वहीं दूसरी ओर वन सरकार को बहुमूल्य विदेशी मुद्रा अर्जित कराने में बहुत सहायक होते हैं। सरकार द्वारा प्रतिवर्ष विभिन्न वन-पदार्थों; जैसे-लाख, तारपीन का तेल, चन्दन का तेल, लकड़ियों की बनी कलात्मक वस्तुएँ आदि का निर्यात किया जाता है, जिससे प्रतिवर्ष करोड़ों की आय होती है और बड़ी मात्रा में विदेशी मुद्रा की प्राप्ति होती है। इसके अतिरिक्त वनों से पशुओं के लिए चारा आदि भी मिलता है और विभिन्न उद्योगों के लिए कच्चे माल की आपूर्ति भी होती है।
वनों से होने वाले अप्रत्यक्ष लाभ– वनों के लाभ केवल यहीं तक सीमित नहीं हैं। वनों के बहुत से अप्रत्यक्ष लाभ भी हैं, जो भारत जैसी कृषि प्रधान अर्थव्यवस्था के लिए और भी महत्त्वपूर्ण है। सर्वप्रथम वन पर्यावरण के सन्तुलन को बनाए रखने में सबसे अधिक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। वे पर्यावरण से कार्बन डाइ-ऑक्साइड ग्रहण करते हैं और दूसरे जीवों के लिए जीवनवर्धक प्राणवायु ऑक्सीजन छोड़ते हैं। वन पर्यावरण के तापमान को भी सन्तुलित बनाए रखते है और पर्यावरण में नमी की मात्रा को नियमित करते हैं।
वन वर्षा में सहायक होते हैं और इस प्रकार पानी के भूमिगत स्तर में वृद्धि करने में बहुत महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। वनों से भूमि के कटाव पर भी रोक लगती है। वृक्ष वर्षा के अतिरिक्त जल को सोख लेते हैं। नदियों के प्रवाह को नियन्त्रित करते हैं। इस प्रकार ये बाढ़ के प्रकोप को भी कम करते हैं। वनों से रेगिस्तान के प्रसार पर भी अंकुश लगता है। अतः वनों से हमें अनेक प्रत्यक्ष व परोक्ष लाभ होते हैं।
उपसंहार– यद्यपि हमें वनों से इतने लाभ होते हैं, ये हमारे लिए हर प्रकार से लाभदायक होते हैं, परन्तु फिर भी हमें उनके संरक्षण की कोई चिन्ता नहीं है। आज वन प्रदेश सिकुड़ते जा रहे हैं। मनुष्य की धन-लालसा तथा प्रगति की चाह इतनी बढ़ गई है कि उसका ध्यान इस ओर जाता ही नहीं है। यह अत्यन्त घातक है। हमें समय रहते सचेत हो जाना चाहिए अन्यथा एक दिन बहुत सारे जीव-जन्तुओं की भाँति वनों का भी लोप हो जाएगा और तब हमारा जीवन अत्यन्त विकट हो जाएगा। वन न केवल हमारी बहुमूल्य सम्पदा हैं, वरन् जीवन का आधार भी हैं। किसी ने ठीक ही कहा है-
“वन ही जीवन है, वन बचाओ, जीवन बचाओ।”
i want eassay on Trees are the adornment of the earth.” in hindi