वर्णनात्मक प्रश्नोत्तर-1
प्रश्न 1. राष्ट्रीय आय में वृद्धि हेतु तीन उपाय सुझाइए।
उत्तर : राष्ट्रीय आय में वृद्धि हेतु तीन उपाय हैं-
- (1) निर्यात में वृद्धि,
- (2) प्रति व्यक्ति आय बढ़ाना,
- (3) उत्पादन बढ़ाना।
प्रश्न 2. शिशु मृत्यु दर रोकने के कोई तीन उपाय सुझाइए।
उत्तर : शिशु मृत्यु दर रोकने के तीन उपाय हैं-
(1) स्वास्थ्य सेवाओं में वृद्धि,
(2) मातृ-शिशु कल्याण के प्रति जागरूकता,
(3) ग्रामों में स्वास्थ्य सेवाओं के प्रति रुचि जगाना।
प्रश्न 3. विश्व बैंक विभिन्न वर्गों का वर्गीकरण करने के लिए किस प्रमुख मापदण्ड का प्रयोग करता है? इस मापदण्ड की अगर कोई सीमाएँ हैं, तो क्या हैं?
उत्तर : विश्व बैंक विभिन्न वर्गों का वर्गीकरण करने के लिए प्रति व्यक्ति आय मापदण्ड का प्रयोग करता है। विश्व बैंक की विश्व विकास रिपोर्ट 2017 में, देशों का वर्गीकरण करने में इसी मापदण्ड का प्रयोग किया गया है। वे देश, जिनकी प्रति व्यक्ति आय 12,056 डॉलर प्रतिवर्ष या उससे अधिक थी, समृद्ध देश माने गए हैं तथा वे देश, जिनकी प्रति व्यक्ति आय 995 डॉलर प्रतिवर्ष या उससे कम थी, निम्न आय देश माने गए।
‘प्रति व्यक्ति आय’ मापदण्ड की प्रमुख सीमाएँ निम्नलिखित हैं-
(1) प्रति व्यक्ति आय के आँकड़े आय के वितरण के बारे में कुछ नहीं बताते।
(2) प्रति व्यक्ति आय अधिक होने के बावजूद यह सम्भव हो सकता है कि देश में कुछ ही लोग अत्यधिक धनी हों और अधिकांश लोग अत्यधिक निर्धन हो।
(3) प्रति व्यक्ति आय का अधिक होना जनकल्याण में वृद्धि का अभिसूचक नहीं है।
प्रश्न 4. विकास मापने का यू०एन०डी०पी० का मापदण्ड किन पहलुओं में विश्व बैंक के मापदण्ड से अलग है?
उत्तर : विश्व बैंक का विकास मापने का मापदण्ड ‘प्रति व्यक्ति आय’ है। महत्त्वपूर्ण होते हुए भी यह मापदण्ड विकास मापने का एक अपर्याप्त और दोषपूर्ण मापदण्ड है। यू०एन०डी०पी० द्वारा प्रकाशित मानव विकास रिपोर्ट विभिन्न देशों की तुलना करते समय प्रति व्यक्ति आय के साथ-साथ लोगों के शैक्षिक तथा स्वास्थ्य स्तर को आधार बनाती है। इस प्रकार यू०एन०डी०पी० द्वारा अपनाए गए विकास के मापक हैं-
(1) प्रति व्यक्ति आय,
(2) जन्म के समय आयु सम्भाविता,
(3) 15 + वर्षों की जनसंख्या में साक्षरता दर,
(4) तीन स्तरों पर सकल नामांकन अनुपात। ये तीन स्तर हैं- प्राथमिक, माध्यमिक एवं उच्च शिक्षा।
प्रश्न 5. भारत के लोगों द्वारा ऊर्जा के किन स्रोतों का प्रयोग किया जाता है? ज्ञात कीजिए। अब से 50 वर्ष पश्चात् क्या सम्भावनाएँ हो सकती हैं?
उत्तर: भारत में ऊर्जा के निम्नलिखित स्रोतों का प्रयोग किया जाता है-
परम्परागत स्रोत
(1) मानव संसाधन, (2) पशु-साधन, (3) कोयला, (4) विद्युत-ताप – विद्युत व जल विद्युत, (5) पेट्रोल, डीजल व मिट्टी का तेल, (6) परमाणु शक्ति ऊर्जा, (7) प्राकृतिक गैस।
II. गैर-परम्परागत साधन
(1) पवन ऊर्जा, (2) ज्वारीय ऊर्जा, (3) भू-तापीय ऊर्जा, (4) जैव ऊर्जा, (5) अपशिष्टों से प्राप्त ऊर्जा, (6) सौर ऊर्जा।
आज से 50 वर्ष बाद सम्भवतः ऊर्जा के कुछ स्रोतों पर भारी संकट होगा। पेट्रोल व पेट्रोलियम उत्पादों की माँग बहुत अधिक होगी और देश के लिए उनकी आपूर्ति कर पाना सम्भव नहीं हो पाएगा। अपने प्राकृतिक संसाधनों द्वारा पूर्ति न कर पाने के साथ-साथ विश्व में भी इनका भण्डार कम होता जाएगा और मूल्यों में निरन्तर वृद्धि के कारण इनका अधिक आयात भुगतान सन्तुलन की प्रतिकूलता को बढ़ाएगा। अतः नये-नये ऊर्जा स्रोतों को खोजना होगा। पवन ऊर्जा, ज्वारीय ऊर्जा, जैव ऊर्जा व सौर ऊर्जा पर अपनी निर्भरता बढ़ानी होगी।
प्रश्न 6. धारणीयता का विषय विकास के लिए क्यों महत्त्वपूर्ण है?
उत्तर: धारणीयता का अर्थ है- विकास का जो स्तर हमने प्राप्त किया है, वह भावी पीढ़ी के लिए भी बना रहे। यदि विकास पर्यावरण को क्षति पहुँचाता है तो इसके दुष्परिणाम भावी पीढ़ी को भुगतने होगे। वास्तव में पर्यावरण और अर्थव्यवस्था दोनों अन्योन्याश्रित हैं और एक-दूसरे पर निर्भर है। आज हमें ऐसा विकास चाहिए जो आने वाली पीढ़ियों को जीवन की सम्भावित औसत गुणवत्ता प्रदान करे जो कम-से-कम वर्तमान पीढ़ी द्वारा उपयोग की गई सुविधाओं के बराबर हो। ऐसा विकास धारणीय विकास (Sustainable Development) कहलाएगा। दूसरे शब्दों में धारणीय विकास ऐसा विकास है जो वर्तमान पीढ़ी की – आवश्यकताओं को पूरा करते समय यह ध्यान रखे कि इससे भावी पीढ़ी की पूर्ति क्षमता बाधित न हो। कुछ अर्थविद् धारणीय विकास का अर्थ मौलिक स्तर पर गरीबों के जीवन के भौतिक मानको को ऊँचा उठाने के सन्दर्भ में लगाते हैं। इसे आय, शैक्षिक सेवाएँ, स्वास्थ्य सुविधाएँ, जलापूर्ति आदि के रूप में परिमाणात्मक रूप से मापा जा सकता है।
संक्षेप में, धारणीय विकास भावी पीढ़ी को कम-से-कम वर्तमान संसाधनों की पूर्ति क्षमता को बनाए रखने का आश्वासन है। हमारा कर्त्तव्य है कि हम भावी पीढ़ी को एक स्वस्थ एवं व्यवस्थित पर्यावरण प्रदान करे और विकास के ऐसे उपाय न अपनाएँ जो पर्यावरण को क्षति पहुँचाएँ।
प्रश्न 7. आर्थिक विकास से आप क्या समझते हैं?
उत्तर : आर्थिक विकास एक प्रक्रिया है जिसके द्वारा अर्थव्यवस्था की वास्तविक राष्ट्रीय आय दीर्घकाल में बढ़ती है। कुछ अर्थशास्त्री आर्थिक विकास को एक ऐसी प्रक्रिया मानते हैं जिससे देश की वास्तविक प्रति व्यक्ति आय में दीर्घकालीन वृद्धि होती है। किन्तु अधिकांश अर्थशास्त्री इन दोनों ही व्याख्याओं को अपूर्ण मानते हैं। उनके अनुसार, आर्थिक विकास एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके द्वारा देश में वस्तुओं और सेवाओं के उत्पादन में वृद्धि होती है और साथ ही जनसाधारण के भौतिक कल्याण में वृद्धि होती है।
वर्णनात्मक प्रश्नोत्तर-2▼
प्रश्न 1. राष्ट्रीय आय तथा प्रति व्यक्ति आय में क्या अन्तर होता है?
अथवा राष्ट्रीय आय तथा प्रति व्यक्ति आय में विभेद कीजिए। देशों की स्थिति की तुलना के लिए इनमें से कौन-सी विधि बेहतर है?
उत्तर : जिस प्रकार किसी उत्पादन की एक इकाई की वास्तविक उत्पत्ति का अनुमान प्रतिवर्ष लगाया जाता है, वैसे ही किसी एक राष्ट्र की समस्त उत्पत्ति (समस्त व्यक्तियों की उत्पत्ति का योग) का अनुमान लगाया जाता है। यह सम्पूर्ण उत्पत्ति उस राष्ट्र की राष्ट्रीय आय या राष्ट्रीय लाभांश कहलाती है। जबकि राष्ट्रीय आय को जनसंख्या से भाग देने पर प्रति व्यक्ति आय ज्ञात हो जाती है। सूत्र रूप में,
प्रति व्यक्ति आय = राष्ट्रीय आय/ जनसंख्या
प्रति व्यक्ति आय ही औसत आय कहलाती है।
देशों की स्थिति की तुलना करने के लिए इनमें से दोनों विधियों को आधार बनाया जाता है। राष्ट्रीय आय से किसी देश के आर्थिक विकास को मापा जाता है जबकि प्रति व्यक्ति आय से समाज के जीवन स्तर और आर्थिक कल्याण को देखा जाता है।
इस प्रकार देशों की स्थिति की तुलना करने के लिए राष्ट्रीय आय विधि बेहतर है।
प्रश्न 2. विकास की अवधारणा क्या है? सामान्यतया इसमें किन घटकों को सम्मिलित किया जाता है?
उत्तर : विकास की अवधारणा
सामान्यतया विकास का अर्थ, प्रगति, तरक्की, बेहतरी, बढ़ोतरी या उन्नति है। भिन्न-भिन्न लोगों के लिए उनके लक्ष्य के अनुसार विकास की अवधारणा अलग-अलग होती है। अतः यह कहा जा सकता है कि भिन्न-भिन्न लोगों के लक्ष्य भी भिन्न-भिन्न हो सकते हैं और किसी एक के लिए जो विकास है वह दूसरे के लिए, विकास ना हो, ऐसा भी सम्भव है।
घटक-अधिकांश लोग बेहतर आय, बराबरी का व्यवहार, स्वतन्त्रता, सुरक्षा और दूसरों से आदर प्राप्त करने की इच्छा रखते हैं अतः प्रमुखता से विकास के घटकों में निम्नलिखित को शामिल किया जाता है-
- (1) प्रति व्यक्ति आय,
- (2) शिक्षा का स्तर,
- (3) स्वास्थ्य सुविधाएँ,
- (4) सार्वजनिक सुविधाएँ।
- प्रति व्यक्ति आय– अधिक आय का अर्थ है, मानवीय आवश्यकताओं की सभी वस्तुओं का उपलब्ध होना। जो भी लोगों को पसन्द है और जो उनके पास होना चाहिए, वे उन सभी वस्तुओं को अधिक आय के द्वारा प्राप्त कर पाएँगे।
- शिक्षा का स्तर – यद्यपि आय का स्तर अति महत्त्वपूर्ण घटक है किन्तु यह घटक, बिना शिक्षा प्राप्ति के अधूरा है। यदि व्यापक स्तर पर मानव विकास का अध्ययन किया जाता है तो यह स्पष्ट हो जाता है कि शिक्षा का उच्च स्तर, आय के अनेक विकल्प प्रदान करता है। शिक्षा और आय में सीधा सम्बन्ध है।
- स्वास्थ्य सुविधाएँ – विकास का सबसे महत्त्वपूर्ण पक्ष है स्वस्थ और दीर्घ जीवन। ताकि लोग अपनी प्रतिभाओं का विकास कर सकें, सामाजिक कार्यों में भाग ले सकें और अपना लक्ष्य पाने के लिए स्वतन्त्र होकर आगे बढ़ सकें।
- सार्वजनिक सुविधाएँ – सार्वजनिक सुविधाएँ, सस्ते दामों पर देश की जनता को, सरकार उपलब्ध कराती है। यह आवश्यक नहीं है कि हम अधिक आय से सभी प्रकार की वस्तुएँ और सेवाएँ खरीद सकें। उदाहरण के लिए ‘प्रदूषण मुक्त वातावरण’ हम अपने पैसों से नहीं खरीद सकते। सामूहिक रूप से ‘चिकित्सा सुविधा’ घरों की सुरक्षा के लिए सुरक्षा गार्ड इत्यादि ऐसी सुविधाएँ हैं, जिन्हें सरकार कम दामों पर जनता को उपलब्ध कराती है। अच्छी सुविधाएँ अच्छे, विकसित जीवन स्तर और देश के विकास के स्तर को प्रदर्शित करती हैं।