संकेत बिन्दु– भूमिका, स्वच्छ भारत अभियान का आरम्भ एवं लक्ष्य, वर्तमान समय में स्वच्छता को लेकर भारत की स्थिति, स्वच्छता का महत्त्व, उपसंहार।
भूमिका
यह सर्वविदित है कि 2 अक्टूबर को हमारे राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का जन्म हुआ था। गांधीजी का जीवन न केवल भारत, बल्कि सम्पूर्ण विश्व के लिए प्रेरणा का स्रोत है। उन्होंने हमेशा सत्य, अहिंसा और स्वच्छता के महत्व को प्राथमिकता दी। हमारे देश में गांधीजी का जन्मदिवस हर वर्ष एक राष्ट्रीय पर्व के रूप में मनाया जाता है। विशेष रूप से वर्ष 2014 में जब ‘स्वच्छ भारत अभियान’ की शुरुआत हुई, तो यह दिन और भी अधिक महत्वपूर्ण बन गया। यह अभियान महात्मा गांधी के स्वच्छता के सिद्धांतों को धरातल पर उतारने का एक प्रयास है।
स्वच्छ भारत अभियान का आरम्भ एवं लक्ष्य
‘स्वच्छ भारत अभियान’ एक राष्ट्रव्यापी पहल है, जिसे 2 अक्टूबर 2014 को प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने गांधीजी की 145वीं जयंती के अवसर पर लॉन्च किया। इस अभियान का मुख्य उद्देश्य भारत को स्वच्छ, कूड़े-करकट से मुक्त और स्वच्छता के प्रति जागरूक बनाना है। इस दिन, प्रधानमंत्री मोदी ने राजघाट पर गांधीजी को श्रद्धांजलि अर्पित की और फिर दिल्ली की वाल्मीकि बस्ती में जाकर स्वच्छता का कार्य आरम्भ किया। उन्होंने इस अभियान को जन-आंदोलन बनाने की अपील की और कहा कि ‘क्लीन इंडिया’ गांधीजी का अधूरा सपना है, जिसे अब हमें पूरा करना है। इस अभियान के अंतर्गत, पांच वर्षों तक (2 अक्टूबर, 2019 तक) भारत को स्वच्छ बनाने के लक्ष्य पर कार्य किया जाएगा।
सरकार इस अभियान को सफल बनाने के लिए विभिन्न उपायों का प्रयोग कर रही है, जैसे मीडिया, विज्ञापन, और सोशल मीडिया का उपयोग। यह अभियान अभी प्रारंभिक चरण में है, लेकिन इसके प्रति सरकार का संकल्प और जनसाधारण में जागरूकता के प्रयास उम्मीदें जगाते हैं।
वर्तमान समय में स्वच्छता को लेकर भारत की स्थिति
स्वच्छता के मामले में भारत को गंभीर चुनौतियाँ हैं। चाहे वह गंगा में तैरती लाशों की तस्वीर हो या सड़कों पर कूड़े के ढेर, ये सारी घटनाएँ दुनिया भर में भारत की छवि को प्रभावित करती हैं। हमारे पड़ोसी देश चीन के ब्लॉग्स में अक्सर भारत के गंदे रास्तों और कचरे से भरी सड़कों की तस्वीरें देखने को मिलती हैं। यह हमारे लिए एक बड़ा सवाल है कि हम एक समृद्ध और गौरवमयी संस्कृति के अनुयायी होते हुए भी स्वच्छता में क्यों पिछड़े हैं?
स्वच्छता का महत्त्व
हमारी भारतीय संस्कृति में पवित्रता और शुद्धता को अत्यधिक महत्व दिया गया है। कहा गया है- “मन चंगा तो कठौती में गंगा”, अर्थात जब हमारे विचार और हृदय शुद्ध होते हैं, तो बाहरी वातावरण भी स्वच्छ होता है। हालांकि, केवल आंतरिक शुद्धि ही पर्याप्त नहीं है; बाहरी स्वच्छता भी उतनी ही आवश्यक है। अस्वच्छता हमारे शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकती है। जिस प्रकार स्वस्थ शरीर में स्वस्थ मस्तिष्क निवास करता है, वैसे ही स्वच्छ परिवेश में एक स्वस्थ और सकारात्मक व्यक्तित्व का विकास संभव है। इसलिये, हमें स्वच्छता को एक जीवनशैली के रूप में अपनाना होगा, ताकि हम मानसिक, शारीरिक और सामाजिक दृष्टि से बेहतर बन सकें।
उपसंहार
स्वच्छता केवल एक आदत नहीं, बल्कि यह हमारी नैतिक जिम्मेदारी भी है। यदि हम सभी इसे अपने जीवन में आत्मसात करते हैं और अपने आस-पास के वातावरण को स्वच्छ रखने का प्रयास करते हैं, तो हम न केवल अपनी खुद की भलाई करेंगे, बल्कि समाज और राष्ट्र की भी सेवा करेंगे। हमें स्वच्छता को अपनी प्राथमिकता बनानी होगी, ताकि हमारा पर्यावरण, हमारे शरीर और हमारी मानसिकता स्वस्थ बनी रहे। यदि हम इस लक्ष्य को 2020 तक प्राप्त कर पाए, तो यह हमारे लिए एक सच्ची श्रद्धांजलि होगी महात्मा गांधी को उनकी 151वीं जयंती पर। यही समय है कि हम ‘स्वच्छ भारत’ के इस महान अभियान में पूरी निष्ठा और प्रतिबद्धता से योगदान दें।