‘पंचलाइट’ श्री फणीश्वरनाथ रेणु द्वारा रचित एक आंचलिक कहानी है, जिसमें रेणुजी ने ग्रामीण परिवेश के साथ-साथ आंचलिक परिवेश को अत्यन्त सुन्दरता के साथ उभारा है। पंचलाइट कहानी की कथावस्तु प्राम्य परिवेश से ग्रहण की गई है। इस कहानी की कथावस्तु में उन्होंने पेट्रोमैक्स, जिसे गाँववाले ‘पंचलाइट’ या ‘पंचलैट’ कहते हैं, के माध्यम से ग्रामीण वातावरण का चित्रण करते हुए ग्रामवासियों के मनोविज्ञान की वास्तविक झलक प्रस्तुत की है। ग्रामीण जनजाति के आधार पर किस प्रकार टोलियों में विभक्त हो जाते हैं और परस्पर ईर्ष्या-द्वेष के भावों से भरे रहते हैं, इसका बड़ा ही जीवन्त यथार्थ रूप इस कहानी में उभारा गया है। ग्रामांचल का वास्तविक चित्रण ही इसकी कथावस्तु का उद्देश्य है।
‘पंचलाइट’ कहानी का सारांश (कथानक)
रामनवमी के मेले में इस बार महतो टोली के पंचों ने एक पेट्रोमैक्स खरीदा। इस पेट्रोमैक्स को गाँववाले ‘पंचलैट’ कहकर पुकारते थे। पंचलैट खरीदने के बाद जो दस रुपये बच गए थे, उनसे पूजा की सामग्री भी खरीदी गई। सबको ‘पंचलैट’ आने की प्रसन्नता थी। इस खुशी में कीर्तन का आयोजन किया गया। थोड़ी देर में टोली के सभी लोग ‘पंचलैट’ देखने के लिए एकत्र हो गए, लेकिन प्रश्न यह पैदा हुआ कि ‘पंचलैट’ को जलाएगा कौन। खरीदने से पहले किसी के दिमाग में यह बात नहीं आई थी। यह निर्णय हुआ कि दूसरी पंचायत के आदमी को मदद से ‘पंचलैट’ नहीं जलाया जाएगा, चाहे वह बिना जले ही पड़ा रहे।
आज किसी ने अपने घर में ढिवरी (डिविया) भी नहीं जलाई थी। ‘पंचलैट’ के न जलने से पंचों के चेहरे उतर गए। राजपूत टोली के लोग उनका मजाक बनाने लगे, लेकिन सबने धैर्यपूर्वक उस मजाक को सहन किया।
वहीं पर गुलरी काकी की बेटी मुनरी बैठी थी। वह जानती थी कि गोधन पंचलैट जलाना जानता है, लेकिन पंचायत ने गोधन का हुक्का पानी बन्द कर रखा था। मुनरी गोधन से प्रेम करती थी। उसने अपनी बात अपनी सहेली कनेली को बताई। कनेली ने यह सूचना सरदार तक पहुँचा दी कि गोधन ‘पंचलैट’ जलाना जानता है। सभी पंच सोच-विचार में पड़ गए कि गोधन को बुलाया जाए अथवा नहीं। अन्त में उसे बुलाने का निर्णय लिया गया।
सरदार ने छड़ीदार को भेजा। लेकिन छड़ीदार के कहने से गोधन ‘पंचलैट’ जलाने के लिए नहीं आया। आखिर गुलरी काकी गोधन के झोपड़े में गई और उसे मनाकर ले आई। गोधन ने ‘पंचलैट’ में तेल भरा। तभी गोधन ने पूछा कि ‘स्पिरिट’ कहाँ है। ‘स्पिरिट’ का नाम सुनकर सभी लोग उदास हो गए, लेकिन गोधन ने अपनी होशियारी से गरी के तेल की सहायता से ही ‘पंचलैट’ जला दिया।
पंचलैट के जलने पर सभी लोगों में प्रसन्नता की लहर दौड़ गई। लोगों के दिल का मैल दूर हो गया। कीर्तनिया लोगों ने एक स्वर में महावीर स्वामी की जय-ध्वनि की। कीर्तन शुरू हो गया। गोधन ने सबका दिल जीत लिया। मुनरी ने हसरतभरी निगाहों से गोधन की ओर देखा। सरदार ने गोधन को बहुत प्यार से अपने पास बुलाकर कहा-
“तुमने जाति की इज्जत रखी है। तुम्हारा सात खून माफ। खूब गाओ सलीमा का गाना।”
अन्त में गुलरी काकी ने गोधन को रात के खाने पर निमन्त्रित किया। गोधन ने एक बार फिर से मुनरी की ओर देखा। उससे दृष्टि मिलते ही लज्जा के कारण मुनरी की पलकें झुक गईं
‘पंचलाइट’ के शीर्षक की सार्थकता-
कहानी का शीर्षक ‘पंचलाइट’ ग्रमीण लोकभाषा के आंचलिक प्रभाव से युक्त तथा सम्पूर्ण कहानी के भाव को व्यक्त करनेवाला है। इस प्रकार यह कहानी ग्रामीण जीवन की सजीव झाँकी प्रस्तुत करने में समर्थ है।
‘पंचलाइट’ कहानी का उद्देश्य
ग्रामवासी जाति के आधार पर किस प्रकार टोलियों में विभक्त हो जाते हैं और परस्पर ईर्ष्या-द्वेष के भावों से भरे रहते हैं, इसका बड़ा ही सजीव और यथार्थ चित्रण इस कहानी में किया गया है। परोक्ष रूप से रेणुजी ने ग्राम-सुधार की प्रेरणा भी दी है। इसी के साथ कहानीकार ने यह भी सिद्ध किया है कि आवश्यकता बड़े-से-बड़े संस्कार और निषेध को अनावश्यक सिद्ध कर देती है।