लिंग (Gender)
लिंग (Ling) से तात्पर्य भाषा के ऐसे प्रावधानों से है जो वाक्य को कर्ता के स्त्री, पुरुष या निर्जीव होने के अनुसार बदल देता हैं। “लिंग” संस्कृत का शब्द है जिसका अर्थ होता है “चिन्ह” या “निशान”, अतः जिस संज्ञा शब्द से व्यक्ति की जाति का पता चलता है उसे लिंग (Ling in Hindi) कहते हैं। विश्व की लगभग एक चौथाई भाषाओं में किसी न किसी प्रकार की लिंग व्यवस्था है।
“वह शब्द जिससे किसी व्यक्ति, वस्तु आदि में स्त्री- पुरुष होने का ज्ञान हो उसे लिंग कहते हैं। हिन्दी में लिंग दो प्रकार के होते हैं- पुल्लिंग और स्त्रीलिंग।”
लिंग की परिभाषा-
‘लिंग’ संस्कृत का शब्द है जिसका अर्थ है चिन्ह या निशान, अतः शब्दों के जिस रूप से उसके पुरुष या स्त्री जाति के होने का पता चलता है, उसे लिंग कहते हैं। हिन्दी में दो ही लिंग होते हैं- पुरुष (पुल्लिंग) और स्त्री (स्त्रीलिंग)।
जैसे:-
- पुरुष जाति में = बैल, बकरा, मोर, मोहन, लड़का, हाथी, शेर, घोडा, दरवाजा, पंखा, कुत्ता, भवन, पिता, भाई आदि शब्दों का लिंग ‘पुल्लिंग’ हैं।
- स्त्री जाति में गाय, बकरी, मोरनी, मोहिनी, लडकी, हथनी, शेरनी, घोड़ी, खिड़की, कुतिया, माता, बहन आदि शब्दों का लिंग ‘स्त्रीलिंग’ हैं।
लिंग के भेद
संसार में तीन जातियाँ होती हैं- पुरुष, स्त्री, जड़ (नपुंसक)। इन्ही जातियों के आधार पर लिंग के भेद बनाए गये हैं। हिन्दी में लिंग के दो भेद होते हैं- पुल्लिंग तथा स्त्रीलिंग, जबकि संस्कृत में लिंग तीन होते हैं- पुल्लिंग, स्त्रीलिंग तथा नपुंसक लिंग; और अंग्रेज़ी में चार लिंग होते हैं- पुल्लिंग, स्त्रीलिंग, उभयलिंग तथा नपुंसक लिंग।
हिन्दी में लिंग के भेद इस प्रकार हैं:
- पुल्लिंगः जो शब्द पुरुष जाति का बोध कराएं, वे पुल्लिंग कहलाते हैं। जैसे- कुत्ता, हाथी, शेर पुल्लिंग आदि।
- स्त्रीलिंगः जो शब्द स्त्री जाति का बोध कराएं, वे स्त्रीलिंग कहलाते हैं। जैसे- कुत्तिया, हथनी, शेरनी आदि।
लिंग निर्धारण या लिंग निर्णय
व्याकरणाचार्यों ने लिंग निर्णय के कुछ नियम बताये हैं लेकिन उन सभी में अपवाद है। लेकिन फिर भी लिंग निर्णय के कुछ नियम इस प्रकार है :-
- जब प्राणीवाचक संज्ञा पुरुष जाति का बोध कराएँ तो वे पुल्लिंग होते हैं और जब स्त्रीलिंग का बोध कराएँ तो स्त्रीलिंग होती हैं। जैसे:- कुत्ता, हाथी, शेर पुल्लिंग हैं और कुत्तिया, हथनी, शेरनी स्त्रीलिंग हैं।
- कुछ प्राणीवाचक संज्ञा जब पुरुष और स्त्री दोनों लिंगों का बोध करती है तो वे नित्य पुल्लिंग में शामिल हो जाते हैं। जैसे:- खरगोश, खटमल, गैंडा, भालू, उल्लु आदि।
- कुछ प्राणीवाचक संज्ञा जब पुरुष और स्त्री दोनों का बोध करे तो वे नित्य स्त्रीलिंग में शामिल हो जाते हैं।
जैसे:- कोमल, चील, तितली, छिपकली आदि।
लिंग के निर्णय में आई कठिनाई और उसका हल
हिंदी में लिंग के निर्णय का आधार संस्कृत के नियम ही हैं। संस्कृत में हिंदी से अलग एक तीसरा लिंग भी है जिसे नपुंसकलिंग कहते हैं। नपुंसकलिंग में अप्राणीवाचक संज्ञाओं को रखा जाता है। हिंदी में अप्राणीवाचक संज्ञाओं के लिंग निर्णय में सबसे अधिक कठिनाई हिंदी न जानने वालों को होती है।
जिनकी मातृभाषा हिंदी होती है उन्हें सहज व्यवहार के कारण लिंग निर्णय में परेशानी नहीं होती। लेकिन इनमें भी एक समस्या है की कुछ पुल्लिंग शब्दों के पर्यायवाची स्त्रीलिंग हैं और कुछ स्त्रीलिंग के पुल्लिंग। जैसे:- पुस्तक को स्त्रीलिंग कहते हैं और ग्रन्थ को पुल्लिंग।
लिंग की पहचान
आपको जिस संज्ञा शब्द का लिंग पहचानना है पहले उसका बहुवचन में परिवर्तन कीजिए। बहुवचन में बदलने के बाद अगर शब्द के अंत में “ए” या “आँ” आये तो शब्द का लिंग “स्त्रीलिंग” है और अगर पीछे ऍ और आँ नहीं आता है तो वह पुल्लिंग होगा। जैसे:-
- पंखा – पंखे (अंत में “ए” या “आँ” नहीं आया है तो यह शब्द पुल्लिंग है।)
- चाबी – चाबियाँ (अंत में “आँ” आया है तो यह शब्द स्त्रीलिंग हैं।)
लिंग के उदाहरण–
लिंग के उदाहरण इस प्रकार हैं, इनमें प्रथम शब्द पुल्लिंग है और द्वितीय स्त्रीलिंगः
- अध्यापक – अध्यापिका
- ऊँट -ऊंटनी
- कछुआ – मादा कछुआ
- कवि – कवियित्री
- खरगोश – मादा खरगोश
- गायक – गायिका
- चिड़ा – चिड़िया
- चूहा – चुहिया
- चौधरी – चौधरानी
- छात्र – छात्रा
- जेठ – जेठानी
- ठाकुर – ठकुराइन
- तपस्वी – तपस्विनी
- दर्जी – दर्जिन
- दादा – दादी
- दास – दासी
- देव – देवी
- देवर – देवरानी
- धोबी – धोबिन
- नर – मादा
- नर चीता – चीता
- नर चील – चील
- नर तितली – तितली
- बलवान – बलवती
पुल्लिंग-
जिन संज्ञा के शब्दों से पुरुष जाति का पता चलता है उसे “पुल्लिंग” कहते हैं। जैसे:- पिता, राजा, घोडा, कुत्ता, बन्दर, हंस, बकरा, आदमी, सेठ, मकान, लोहा, चश्मा, दुःख, प्रेम, लगाव, खटमल, फूल, नाटक, पर्वत, पेड़, मुर्गा, बैल, भाई, शिव, हनुमान, शेर आदि।
अपवाद शब्दः जनवरी, मई, जुलाई, पृथ्वी, श्रीलंका, चाँदी, इमली, ज्वार, मक्खी, ज्वार, अरहर, मूंग, लस्सी, चाय, काफी, चटनी, इ, ई, ऋ, गर्दन, जीभ, अंगुली, आँख, नाक, उँगलियाँ, सभा, कक्षा, संतान, प्रथम, तिथि, रात, सायं, सन्ध्या, दोपहर, छाया, खटास, मिठास, मणि, आदि शब्द स्त्रीलिंग होते हैं।
पुल्लिंग की पहचान
- जिन शब्दों के पीछे ‘अ, त्व, आ, आव, पा, पन, न’ आदि प्रत्यय आये वे पुल्लिंग होते हैं। जैसे:- मन, तन, वन, शेर, राम, कृष्ण, सतीत्व, देवत्व, मोटापा, चढ़ाव, बुढ़ापा, लडकपन, बचपन, लेन -देन आदि।
- पर्वतों के नाम पुल्लिंग होते हैं। जैसे:- हिमालय, हिमाचल, विघ्यांच्ल, सतपुड़ा, आल्प्स, यूराल, कंचनजंगा, एवरेस्ट, फूजियामा, कैलाश, मलयाचल, माउन्ट एवरेस्ट आदि।
- दिनों के नाम पुल्लिंग होते हैं। जैसे:- सोमवार, मंगलवार, बुद्धवार, वीरवार, शुक्रवार, शनिवार, रविवार आदि।
- देशों के नाम पुल्लिंग होते हैं। जैसे:- भारत, चीन, ईरान, यूरान, रूस, जापान, अमेरिका, पाकिस्तान, उत्तर प्रदेश, हिमाचल, मध्य प्रदेश आदि।
- धातुओं के नाम पुल्लिंग होते हैं। जैसे:- सोना, ताम्बा, पीतल, लोहा, चाँदी, पारा आदि।
- नक्षत्रों के नाम पुल्लिंग होते हैं। जैसे: सूर्य, चंद्रमा, राहु, आकाश, शनि, बुद्ध, बृहस्पति, मंगल, शुक्र, आदि।
- महीनों के नाम पुल्लिंग होते हैं। जैसे:- फरवरी, मार्च, चैत, आषाढ़, फागुन आदि।
- द्रवों के नाम पुल्लिंग होते हैं। जैसे:- पानी, तेल, पेट्रोल, घी, शरबत, दही, दूध आदि।
- पेड़ों के नाम पुल्लिंग होते हैं। जैसे:- केला, पपीता, शीशम, सागौन, जामुन, बरगद, पीपल, नीम, आम, अमरुद, देवदार, अनार, अशोक, पलाश आदि।
- सागर के नाम पुल्लिंग होते हैं। जैसे:- हिन्द महासागर, प्रशांत महासागर, अरब महासागर आदि।
- समय के नाम पुल्लिंग होते हैं। जैसे:- घंटा, पल, क्षण, मिनट, सेकेंड आदि।
- अनाजों के नाम भी पुल्लिंग होते हैं। जैसे:- गेंहूँ, बाजरा, चना, जौ आदि।
- वर्णमाला के अक्षरों के नाम पुल्लिंग होते हैं। जैसे:- अ, उ, ए, ओ, क, ख, ग, घ, च, छ, य, र, ल, व, श आदि।
- प्राणीवाचक शब्द हमेशा पुरुष जाति का ही बोध करते हैं। जैसे:- बालक, गीदड़, कौआ, कवि, साधु, खटमल, भेडिया, खरगोश, चीता, मच्छर, पक्षी आदि।
- समूह वाचक संज्ञा भी पुल्लिंग होती है। जैसे:- मण्डल, समाज, दल, समूह, सभा, वर्ग, पंचायत आदि।
- भारी और बेडौल वस्तु भी पुल्लिंग होती हैं। जैसे:- जूता, रस्सा, पहाड़, लोटा आदि।
- रत्नों के नाम भी पुल्लिंग होते हैं। जैसे: नीलम, पुखराज, मूँगा, माणिक्य, पन्ना, मोती, हीरा आदि।
- फूलों के नाम पुल्लिंग होते हैं। जैसे:- गेंदा, मोतिया, कमल, गुलाब आदि।
- द्वीप भी पुल्लिंग होते हैं। जैसे:- अंडमान-निकोबार, जावा, क्यूबा, न्यू फाउंलैंड आदि।
- शरीर के अंग पुल्लिंग होते हैं। जैसे:-हाथ, पैर, गला, अंगूठा, कान, सिर, मुंह, घुटना, हृदय, दांत, मस्तक आदि।
- दान, खाना, वाला से खत्म होने वाले शब्द हमेशा पुल्लिंग होते हैं। जैसे: खानदान, पीकदान, दवाखाना, जेलखाना, दूधवाला, दुकानवाला आदि।
- आकारान्त संज्ञा पुल्लिंग होती है। जैसे:- गुस्सा, चश्मा, पैसा, छाता आदि।
स्त्रीलिंग (Feminine Gender)
जिन संज्ञा शब्दों से स्त्री जाति का पता चलता है उसे स्त्रीलिंग कहते हैं। जैसे :- हंसिनी, लडकी, बकरी, माता, रानी, जूं, सुईं, गर्दन, लज्जा, बनावट, घोड़ी, कुतिया, बंदरिया, कुर्सी, पत्ती, नदी, शाखा, मुर्गी, गाय, बहन, यमुना, बुआ, लक्ष्मी, गंगा, लडकी, औरत, शेरनी, नारी, झोंपड़ी, लोमड़ी आदि।
अपवाद शब्दः पक्षी, फरवरी, एवरेस्ट, मोतिया, दिल्ली, स्त्रीत्व आदि शब्द पुल्लिंग होते हैं।
स्त्रीलिंग प्रत्यय
जब पुल्लिंग शब्दों को स्त्रीलिंग बनाया जाता है तब प्रत्ययों को शब्दों में जोड़ा जाता है जिन्हें स्त्रीलिंग प्रत्यय कहते हैं। जैसे :-
- ईः बड़ा-बड़ी, भला-भली आदि।
- इनी: योगी-योगिनी, कमल-कमलिनी आदि।
- इनः धोबी-धोबिन, तेल-तेली आदि।
- निः मोर-मोरनी, चोर-चोरनी आदि।
- आनी: जेठ-जेठानी, देवर-देवरानी आदि।
- आइनः ठाकुर-ठकुराइन, पंडित-पण्डिताइन आदि।
- इया: बेटा-बिटिया, लोटा-लुटिया आदि।
स्त्रीलिंग की पहचान
- जिन संज्ञा शब्दों के पीछे ख, ट, वट, हट, आनी आदि आयें वे सभी स्त्रीलिंग होते हैं। जैसे:- कडवाहट, आहट, बनावट, शत्रुता, मूर्खता, मिठाई, छाया, प्यास, ईख, भूख, चोख, राख, कोख, लाख, देखरेख, झंझट, आहट, चिकनाहट, सजावट, इन्द्राणी, जेठानी, ठकुरानी, राजस्थानी आदि।
- अनुस्वारांत, ईकारांत, उकारांत, तकारांत, सकारांत आदि संज्ञाएँ आती है वे स्त्रीलिंग होते हैं। जैसे:- रोटी, टोपी, नदी, चिट्ठी, उदासी, रात, बात, छत, भीत, लू, बालू, दारू, सरसों, खड़ाऊं, प्यास, वास, साँस, नानी, बेटी, मामी, भाभी आदि।
- भाषा, बोलियों तथा लिपियों के नाम स्त्रीलिंग होती हैं। जैसे:- हिंदी, संस्कृत, देवनागरी, पहाड़ी, अंग्रेजी, पंजाबी गुरुमुखी, फ्रांसीसी, अरबी, फारसी, ज़र्मन, बंगाली, रुसी आदि।
- नदियों के नाम स्त्रीलिंग होते हैं। जैसे:- गंगा, यमुना, गोदावरी, सरस्वती, रावी, कावेरी, कृष्णा, व्यास, सतलुज, झेलम, ताप्ती, नर्मदा आदि।
- तरीखो और तिथियों के नाम स्त्रीलिंग होते हैं। जैसे:- पहली, दूसरी, प्रतिपदा, पूर्णिमा, पृथ्वी, अमावस्या, एकादशी, चतुर्थी, प्रथमा आदि।
- नक्षत्रो के नाम स्त्रीलिंग होते हैं। जैसे:- अश्विनी, भरणी, रोहिणी, रेवती, मृगशिरा, चित्रा आदि।
- हमेशा स्त्रीलिंग रहने वाली संज्ञा होती हैं। जैसे: मक्खी, कोयल, मछली, तितली, मैना आदि।
- समूहवाचक संज्ञा स्त्रीलिंग होते हैं। जैसे:- भीड़, कमेटी, सेना, सभा, कक्षा आदि।
- प्राणीवाचक संज्ञा स्त्रीलिंग होती हैं। जैसे:- धाय, संतान, सौतन आदि।
- पुस्तकों के नाम स्त्रीलिंग होते हैं। जैसे:- कुरान, रामायण, गीता, रामचरितमानस, बाइबल, महाभारत आदि।
- आहारों के नाम स्त्रीलिंग होते हैं। जैसे:- सब्जी, दाल, कचौरी, पूरी, रोटी, पकोड़ी आदि।
- शरीर के अंगों के नाम स्त्रीलिंग होते हैं। जैसे:- आँख, नाक, जीभ, पलक, उँगली, ठोड़ी आदि।
- आभूषण और वस्त्रों के नाम स्त्रीलिंग होते हैं। जैसे:- साड़ी, सलवार, चुन्नी, धोती, टोपी, पेंट, कमीज, पगड़ी, माला, चूड़ी, बिंदी, कंघी, नथ, अंगूठी आदि।
- मशालों के नाम भी स्त्रीलिंग होते हैं। जैसे:- दालचीनी, लौंग, हल्दी, मिर्च, धनिया, इलायची, अजवाइन, सौंफ, चाय आदि।
- राशि के नाम स्त्रीलिंग होते हैं। जैसे:- कुम्भ, मीन, तुला, सिंह, मेष, कर्क आदि।
दोनों लिंग में प्रयुक्त होने वाले शब्दः द्विलिंगी शब्द
हिन्दी में कुछ शब्द ऐसे होते हैं जो पुल्लिंग और स्त्रीलिंग दोनों लिंगों के लिए प्रयुक्त होते हैं। जैसे:- प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री, राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, चित्रकार, पत्रकार, गवर्नर, लेक्चर, वकील, डॉक्टर, सेक्रेटरी, प्रोफेसर, शिशु, दोस्त, बर्फ, मेहमान, मित्र, ग्राहक, प्रिंसिपल, मैनेजर, श्वास, मंत्री आदि।
उदाहरण के लिए:-
- नरेंद्र मोदी हमारे ‘प्रधानमंत्री’ हैं।
- इंद्रागांधी हमारी ‘प्रधानमंत्री’ थीं।
लिंग परिवर्तन
पुल्लिंग से स्त्रीलिंग बनाने अर्थात लिंग परिवर्तन के नियम इस प्रकार हैं:-
नियम 1. पुल्लिंग शब्द के अंत में अ, आ वर्ण को जब “ई” कर दिया जाता है तो उनका लिंग “स्त्रीलिंग” हो जाते हैं। “पुल्लिंग = स्त्रीलिंग” शब्दों के उदाहरण इस प्रकार हैं:-
- गूँगा = गूँगी
- देव = देवी
- नाला = नाली
- गधा = गधी
- नर = नारी
नियम 2. कुछ शब्दों के अंतिम वर्ण “अ, आ, वा” की जगह पर “इया” लगा दिया जाता हैं, तो उनका लिंग “स्त्रीलिंग” हो जाता हैं। “पुल्लिंग = स्त्रीलिंग” के उदाहरण इस प्रकार हैं:-
- बुढा = बुढिया
- लोटा = लुटिया
- बन्दर = बंदरिया
- बेटा = बिटिया
- चिड़ा = चिड़िया
नियम 3. “अक” प्रत्यय युक्त शब्दों में “इका” जोडकर भी स्त्रीलिंग बनाए जाते हैं। “पुल्लिंग शब्द + इका = स्त्रीलिंग शब्द” के उदाहरण इस प्रकार हैं:-
- अध्यापक + इका = अध्यापिका
- पत्र + इका = पत्रिका
- चालक + इका = चालिका
- सेवक + इका = सेविका
- लेखक + इका = लेखिका
- गायक + इका = गायिका
- पाठक + इका = पाठिका
- संपादक + इका = संपादिका
नियम 4. जब पुल्लिंग को स्त्रीलिंग बनाया जाता है तो कभी कभी नर या मादा लगाना पड़ता है। “पुल्लिंग = स्त्रीलिंग” के उदाहरण इस प्रकार हैं:-
- तोता = मादा तोता
- जिराफ = मादा जिराफ
- मच्छर = मादा मच्छर
- खटमल = मादा खटमल
- मगरमच्छ = मादा मगरमच्छ
- कोयल = नर कोयल
- उल्लू = मादा उल्लू
- चील = नर चील
- मकड़ी = नर मकड़ी
- मक्खी = नर मक्खी
- भेड़ = नर भेड़
- गिलहरी = नर गिलहरी
- मैना = नर मैना
- कछुआ = नर कछुआ
- भालू = मादा भालू
- भेडिया = मादा भेडिया
नियम 5. कुछ शब्द स्वतंत्र रूप से स्त्री-पुरुष के जोड़े में होते हैं। कुछ जोड़ों के पुल्लिंग और स्त्रीलिंग बिलकुल अलग होते हैं।
“पुल्लिंग = स्त्रीलिंग” के उदाहरण इस प्रकार हैं:-
- राजा = रानी
- पिता = माता
- वर = वधू
- मर्द = औरत
- बैल = गाय
- सम्राट = सम्राज्ञी
- भाई = बहन
- पति = पत्नी
- पुरुष = स्त्री
- पुत्र = कन्या
नियम 6. कुछ शब्दों का स्त्रीलिंग न हो पाने की वजह से उनमें “आनी” प्रत्यय लगाकर स्त्रीलिंग बनाया जाता है। “पुल्लिंग + आनी = स्त्रीलिंग” के उदाहरण इस प्रकार हैं:
- ठाकुर + आनी = ठकुरानी
- सेठ + आनी = सेठानी
- चौधरी + आनी = चौधरानी
- देवर + आनी = देवरानी
- नौकर + आनी = नौकरानी
- इंद्र + आनी = इन्द्राणी
- जेठ + आनी = जेठानी
- मेहतर + आनी = मेहतरानी
- पण्डित + आनी = पंडितानी
नियम 7. कभी कभी पुल्लिंग के कुछ शब्दों में “इन” जोडकर स्त्रीलिंग बनाया जाता है। “पुल्लिंग + इन = स्त्रीलिंग” के उदाहरण इस प्रकार हैं:-
- साँप + इन = सांपिन
- सुनार + इन = सुनारिन
- नाती + इन = नातिन
- दर्जी + इन = दर्जिन
- कुम्हार + इन = कुम्हारिन
- लुहार + इन = लुहारिन
- माली + इन = मालिन
- धोबी + इन = धोबिन
- बाघ + इन = बाघिन
नियम 8. कभी कभी बहुत से शब्दों में “आइन” जोडकर स्त्रीलिंग बनाए जाते हैं। “पुल्लिंग + आइन = स्त्रीलिंग” के उदाहरण इस प्रकार हैं :-
- चौधरी + आइन = चौधराइन
- हलवाई + आइन = हलवाइन
- गुरु + आइन = गुरुआइन
- पंडित + आइन = पण्डिताइन
- ठाकुर + आइन = ठकुराइन
- बाबू + आइन = बबुआइन
नियम 9. जब पुल्लिंग शब्दों में ता की जगह पर “त्री” लगा दिया जाता है तो वे स्त्रीलिंग बन जाते हैं। “पुल्लिंग + ता = स्त्रीलिंग + त्री” के उदाहरण इस प्रकार हैं
- दाता = दात्री
- अभिनेता = अभनेत्री
- रचयिता = रचयित्री
- विधाता = विधात्री
- वक्ता = वक्त्री
नियम 10. जब पुल्लिंग के जाति और भाव बताने वाले शब्दों में “नी” लगा दिया जाता है तो वे स्त्रीलिंग में बदल जाते हैं।
“पुल्लिंग + नी = स्त्रीलिंग” के उदाहरण इस प्रकार हैं:-
- सियार + नी = सियारनी
- हिन्दू + नी = हिन्दुनी
- ऊँट + नी = ऊंटनी
- शेर + नी = शेरनी
- भील + नी = भीलनी
- हंस + नी = हंसनी
- मोर + नी = मोरनी
- चोर + नी = चोरनी
- हाथी + नी = हथिनी
- सिंह + नी = सिंहनी
नियम 11. पुल्लिंग शब्दों में जब “इनी” जोड़ दिया जाता है तो वे स्त्रीलिंग बन जाते हैं। “पुल्लिंग शब्द + इनी = स्त्रीलिंग” के उदाहरण इस प्रकार हैं:-
- मनस्वी + इनी = मनस्विनी
- अभिमान + इनी = अभिमानिनी
- दंडी + इनी = दंडिनी
- संन्यासी + इनी = संन्यासिनी
- सुहास + इनी = सुहासिनी
नियम 12. संस्कृत के पुल्लिंग शब्दों मान और वान को जब “वती” और “मति” में बदल दिया जाता है तो वे स्त्रीलिंग में बदल जाते हैं। “पुल्लिंग = स्त्रीलिंग” के उदाहरण इस प्रकार हैं:-
- बुद्धिमान = बुद्धिमती
- पुत्रवान = पुत्रवती
- श्रीमान = श्रीमती
- भाग्यवान = भाग्यवती
- आयुष्मान = आयुष्मती
- भगवान भगवती
- धनवान = धनवती
नियम 13. संस्कृत के अकारांत शब्दों में “आ” लगा देने से वे स्त्रीलिंग हो जाते हैं। “अकारांत + आ = स्त्रीलिंग” के उदाहरण इस प्रकार हैं:-
- तनुज + आ = तनुजा
- चंचल + आ = चंचला
- आत्मज + आ = आत्मजा
- प्रिय + आ = प्रिया
- पूज्य + आ = पूज्या
- भैस + आ = भैंसा
- भेड़ + आ = भेडा
- मौसी + आ = मौसा
- जीजी + आ = जीजा