शिवानी विरचित कहानी ‘लाटी’ की कथावस्तु पर प्रकाश डालिए। अथवा ‘लाटी’ कहानी का सारांश लिखिए।
अथवा ‘लाटी’ कहानी का कथानक अपने शब्दों में लिखिए।
‘लाटी’ की कथावस्तु
सुप्रसिद्ध उपन्यासकार तथा कथा-लेखिका शिवानी की यह ‘लाटी’ कहानी एक घटनाप्रधान कहानी है। कहानी की कथावस्तु कथानायक कप्तान के जीवन में घटी एक अत्यन्त मार्मिक घटना से ग्रहण की गई है। घटना के अनुसार कथानायक कप्तान जोशी अपनी बीमार पत्नी ‘बानो’ से अत्यधिक प्रेम करते हैं। टी० बी० की मरीज होने के कारण जब बानो जिन्दगी से निराश हो जाती है तो नदी में डूबकर आत्महत्या करने का प्रयास करती है। कप्तान यह मान लेता है कि बानो डूबकर मर गई, मगर वही बानो बाद में उसे लाटी बनकर मिलती है। अब लाटी न बोल पाती है और न उसे अपने अतीत की कोई बात याद है। इस संक्षिप्त-सी कथावस्तु को कथा-लेखिका ने अपनी प्रतिभा से ऐसे मार्मिक कलेवर में पिरोया है कि मन के सभी तार झंकृत हो उठते हैं।
लाटी’ कहानी का सारांश (कथानक)
कप्तान जोशी गोठिया सैनेटोरियम के तीन नम्बर के बंगले में दुगुना किराया देकर स्वयं अपनी टी०सी० को रोगिणी परवान बनेगी गोलिया तो दियबानों से अत्यधिक प्रेम के कारण वह उसके पास ही रहता। यह अपने रोगिणी पाली बादे के साथ रहता से मुस्करा देता तथा उसे प्रसन्न करने की पूरी कोशिश करता। बैंगले के बराम पत्नी बालो को देख समज बाद से मुक्ती डोले बैठा रहता, कभी अपने हाथों से टेम्परेचर बार्ट भरता और क समय देख-देखकर दवाइयों देता। पास के बंगले में रहनेवाले बड़ी तृष्णा और चाव से इनकी कबूतर-सी को देखे ऐसी बातक बीमारी पर भी अपनी पत्नी की बड़े यत्न और स्नेह से सेवा करता था कप्तान। विवाह के को देखते। ऐसी घातक बीमारी पर बीमारी (तपेदिक) हो गई। कप्तान दिन-रात उसकी सेवा करता तथा उसे बहर प्यार करता। उसके पास माता-पिता के पत्र आते कि यह भयंकर बीमारी है, तुम बचकर रही। माँ ने रो-रोकर पत्र लिखा कि मेरे दस-बीस बेटे नहीं हैं, तुम अकेले हो। कप्तान पर इन बातों का कोई असर नही हुआ। ‘बानो’ की सेवा-शुश्रूषा में कोई कमी नहीं रखी।
सैनेटोरियम में ही भर्ती क्षयरोगिणी नेपाली भाभी अपने पति को कोसती और भला-बुरा कहती रहती है। वह खुले मन से कप्तान की प्रशंसा करती है। वह कहती है कि एक मेरा पति है, जो पी के धुत रहता है और सालभर से देखने भी नहीं आया है। वह कप्तान से कहती है शाबाश कप्तान बेटा, तुझे देखकर मेरी छातियों में दूध उत्तर आता है।’बानो’ से विवाह के ठीक तीसरे दिन बाद कप्तान को बसरा जाना पड़ा। बानो को छोड़कर जाना उसे असहनीय था। उसने बानो से पहली मुलाकात में ही उसका नाम पूछा था, जब उसने अपना नाम बानो बताया तो कप्तान ने मजाक में कहा कि यह तो मुसलमानी नाम है। यह सुनकर जब बानो की आँखें छलक उठीं तो कप्तान बोला मैं तो तुम्हें छेड़ रहा था- कितना प्यारा नाम है। अभी बानो केवल 16 (सोलह) वर्ष की थी, खिलौने-मी बहू को कप्तान बहुत अधिक प्यार करता था। कप्तान दो वर्ष बाद वापस आता है, इस बीच बानो ने सात-सात ननदो के ताने सुने, भतीजों के कपड़े धोये, ससुर के होज बुने, पहाड़-सी नुकीली छतों पर पाँच-पाँच सेर उड़द पीसकर बड़ियों बना डाली। उससे कहा गया कि तेरे पति को जापानियों ने कैद कर लिया है, अब वह कभी नहीं लौटेगा। सास और चचिया सास के व्यंग्य बाण उसके अन्तर्मन को भेद देते, वह घुलती गई और एक दिन क्षय-रोग से पीड़ित होकर चारपाई पकड़ ली। युद्ध से लौटकर दूसरे ही दिन कप्तान बानो को देखने चल दिया तो घरवालों के चेहरे लटक गए। एक प्राइवेट बरामदे में लेटी बानो को देखकर कप्तान के होश उड़ गए। दो वर्ष में बानो घिसकर और भी बच्ची बन गई थी। कप्तान को देखकर उसकी आँखों से आँसू टपकने लगे। अन्त में उसकी नाजुक हालत देखकर डॉक्टर ने कप्तान को नोटिस दे दिया, कल ही कमरा खाली करके मरीज को घर ले जाइए। उसने बानो से कहा घर नहीं, दूसरी जगह चलेंगे। सुबह उठा तो बानो पलंग पर नहीं थी। दूसरे दिन नदी घाट पर बानो की साड़ी मिली उसने आत्महत्या करने का प्रयास किया। कप्तान को जब लाश भी न मिलो तो उसने समझ लिया कि बानो नदी में डूबकर मर गई। कप्तान का एक साल में ही दूसरा विवाह हो जाता है, दो बेटे और एक बेटी उसकी पत्नी प्रभा ने उसे दिए। कप्तान अब मेजर हो गया। वैष्णवी के साथ ‘बानी’ जब लाटी के रूप में मेजर को मिलती है तो मेजर उसे पहचान लेता है, लेकिन लाटी बोल नहीं पाती है, और न ही अपना अतीत उसे याद है। यहीं पर कहानी का अन्त होता है।
प्रश्न 2-शीर्षक की दृष्टि से शिवानी की कहानी ‘लाटी’ का मूल्यांकन कीजिए। अथवा ‘लाटी’ के नामकरण पर प्रकाश डालिए।
‘लाटी’ शीर्षक का मूल्यांकन
कहानी का शीर्षक लाटी के जीवन की त्रासदपूर्ण व्यथा को अभिव्यक्त करने में समर्थ है। कहानी का कथानक उसी पर केन्द्रित है; अतः ‘लाटी’ शीर्षक सब प्रकार से सार्थक है। यह शीर्षक अत्यन्त संक्षिप्त, कथा का वाहक, सारगर्भित और कहानी की मूलभावना पर केन्द्रित है; अतः शीर्षक की सभी विशेषताओं पर खरा उतरता है।
प्रश्न 3-‘लाटी’ कहानी में लेखिका शिवानी को अपने उद्देश्य में कहाँ तक सफलता प्राप्त हुई है? स्पष्ट कीजिए।
‘लाटी’ कहानी का उद्देश्य
आलोच्य कहानी का उद्देश्य मध्यमवर्गीय समाज में पति के बिना अकेली रहनेवाली पत्नी के जीवन की त्रासद को दिखाना रहा है, जिसमें लेखिका को पूर्ण सफलता प्राप्त हुई है। लेखिका ने यह भी सन्देश दिया है किआज महिला ही महिला के शोषण में लगी है; अतः उन्हें अपने दृष्टिकोण में परिवर्तन करते हुए उनके साथ सहयोग करते हुए अपनी उन्नति के मार्ग को प्रशस्त करना चाहिए। लेखिका का एक उद्देश्य यह भी है कि यदि क्षयरोग जैसे असाध्य रोग में परिजनों का सहयोग और सहानुभूति रोगी को मिले तो व्यक्ति को मृत्यु के आगोश में जाने से बचाया भी जा सकता है। यही कारण है कि लम्बी-चौड़ी देहवाली नेपाली भाभी एक दिन अचानक दम तोड़ देती है और हड्डियों का ढाँचा मात्र रह गई रुई के फाये जैसी बानो का क्षयरोग बाल भी बाँका न कर सका।
Hume Puri kahani padni hai
Hame Puri kahani chahiye