संकेत बिन्दु -भूमिका, खेलकूद के लाभ, खेलों की विविधता, जीवन हेतु आवश्यक गुणों का विकास, उपसंहार।
भूमिका
मानव ईश्वर की सर्वश्रेष्ठ कृति है। मानव के पास चिन्तन की अपार क्षमता है, जिसके माध्यम से यह प्राचीन काल से लेकर आज तक पूरी पृथ्वी पर शासन करता आया है। आज विज्ञान, प्रौद्योगिकी और प्रकृति पर मानव का नियंत्रण इसकी सोच और मस्तिष्क के विकास की देन है। हालांकि, यह जरूरी है कि मस्तिष्क के विकास के साथ-साथ शारीरिक शक्ति का भी विकास हो। यदि केवल मस्तिष्क का विकास होगा, तो वह एकांगी होगा। शारीरिक विकास के लिए खेलकूद की आवश्यकता होती है, और यह विद्यार्थियों के जीवन में विशेष महत्त्व रखता है। प्रसिद्ध दार्शनिक प्लेटो ने कहा था, “बालक को दण्ड के बजाय खेल द्वारा नियन्त्रण करना कहीं अधिक अच्छा होता है।” आजकल शैक्षणिक संस्थाओं में छात्रों को खेलकूद में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है, ताकि वे अध्ययन के अलावा अन्य गतिविधियों में भी व्यस्त रहें और उनका ध्यान भटके नहीं।
खेलकूद के लाभ
खेलकूद के अनेक लाभ हैं। सबसे पहला लाभ यह है कि खेल से संस्थान में अनुशासन स्थापित होता है। इसके अलावा, खेलकूद विद्यार्थियों में संयम, दृढ़ता, गम्भीरता, एकाग्रता, सहयोग और अनुशासन की भावना का विकास करते हैं। खेल में जीत-हार का सामना करने से विद्यार्थियों को जीवन में सफलता और असफलता दोनों के साथ संतुलन बनाए रखने की सीख मिलती है। इससे उनका मानसिक विकास भी होता है। खेलकूद से शरीर में ताकत आती है, मांसपेशियाँ स्वस्थ होती हैं, भूख बढ़ती है और आलस्य दूर होता है। शरीर और मस्तिष्क से कमजोर व्यक्ति जीवन में सच्चा सुख और आनंद प्राप्त नहीं कर सकता।
शारीरिक विकास के लिए खेलों के अतिरिक्त अन्य उपाय जैसे व्यायाम और प्रातःकालीन भ्रमण भी स्वास्थ्य लाभ देते हैं। खेलों के अलावा, जैसे कुश्ती, कबड्डी, दौड़ और अन्य शारीरिक गतिविधियाँ शरीर के लिए अत्यन्त लाभकारी हैं। खेल न केवल स्वास्थ्य लाभ देते हैं, बल्कि वे मानसिक और शारीरिक मज़बूती भी प्रदान करते हैं। खिलाड़ी केवल अपने लिए नहीं खेलता, बल्कि पूरी टीम की जीत उसकी जीत और हार उसकी हार होती है। इस प्रकार खेलों से टीम वर्क, एकता, अपनत्व और मैत्री की भावना विकसित होती है।
खेलों की विविधता
मनुष्य की रुचियाँ अलग-अलग होती हैं, इसलिए हर व्यक्ति अपनी पसंद के खेल खेलता है। कुछ को हॉकी पसंद है, कुछ को फुटबॉल, कुछ को क्रिकेट, और कुछ को बैडमिंटन। यह सभी खेल स्वास्थ्य और मनोरंजन के दृष्टिकोण से लाभकारी होते हैं। खेलों का उद्देश्य केवल शारीरिक फिटनेस और मनोरंजन नहीं होता, बल्कि मानसिक स्थिति को संतुलित रखना भी होता है। खेलों से शरीर और मस्तिष्क का सामंजस्य बनता है।
शारीरिक शक्ति और शिक्षा का सम्बंध
खेलों से न केवल शरीर, बल्कि मस्तिष्क और मनोबल का भी विकास होता है। जैसा कि कहते हैं, “पुष्ट और स्वस्थ शरीर में ही एक सुंदर मस्तिष्क का वास होता है।” एक विद्यार्थी जो अध्ययन में बहुत अच्छा है, लेकिन शारीरिक रूप से कमजोर है, वह जीवन की कठिनाइयों का सामना ठीक से नहीं कर सकता। यदि उसे कोई चुनौती मिलती है, तो वह उसे हल करने के लिए शारीरिक रूप से सक्षम नहीं होता। इस प्रकार, शरीर और मस्तिष्क के विकास के बीच संतुलन होना आवश्यक है।
जीवन के आवश्यक गुणों का विकास
खेलकूद से विद्यार्थी जीवन में कई आवश्यक गुणों का विकास होता है जैसे- स्वाभिमान, संयम, आज्ञापालन, अनुशासन, क्षमाशीलता और दया। अनेक खिलाड़ी खेलों के बल पर ऊँचे पदों पर पहुँचते हैं। इसके अलावा, खेलों के माध्यम से राष्ट्रीयता और अन्तर्राष्ट्रीयता की भावना भी विकसित होती है। अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर खेले जाने वाले खेलों के माध्यम से खिलाड़ियों को विश्व भ्रमण का अवसर मिलता है और उनकी विश्वव्यापी पहचान बनती है।
उपसंहार
निःसन्देह खेल विद्यार्थी जीवन के लिए अत्यन्त उपयोगी होते हैं, लेकिन आवश्यकता से अधिक खेलों में रुचि लेना भी हानिकारक हो सकता है। कई विद्यार्थी इतने खेलकूद में डूब जाते हैं कि वे अपने मुख्य उद्देश्य, अर्थात अध्ययन से ही मुँह मोड़ लेते हैं। खेलों का महत्त्व तभी है जब यह शिक्षा के साथ जुड़ा हो। यदि खेलों का उद्देश्य केवल मनोरंजन हो और ये शिक्षा में रुकावट डालने लगे, तो इसका परिणाम उल्टा हो सकता है। खेलों को सदैव खेल भावना से खेला जाना चाहिए। कभी-कभी खेलों के कारण द्वेष, ईर्ष्या और गुटबन्दी जैसी नकारात्मक भावनाएँ भी उत्पन्न हो सकती हैं, जो अत्यन्त हानिकारक हैं।
इसलिए, शिक्षा और खेलकूद में संतुलन बनाए रखना आवश्यक है। जैसे मस्तिष्क और हृदय का संतुलन आवश्यक है, वैसे ही शिक्षा और खेलकूद का संतुलन भी जरूरी है। शैक्षिक संस्थानों का कर्तव्य है कि वे दोनों में समन्वय स्थापित करें और विद्यार्थियों को खेलकूद और शिक्षा दोनों में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित करें।