संकेत बिन्दु –प्रस्तावना, बेरोज़गारी का अर्थ, बेरोज़गारी के कारण, बेरोज़गारी कम करने के उपाय, बेरोज़गारी के दुष्प्रभाव, उपसंहार।
प्रस्तावना
आज के समय में भारत के विकास में कई समस्याएँ प्रमुख रूप से आड़े आ रही हैं, जिनमें बेरोज़गारी सबसे बड़ी चुनौती है। यह समस्या विशेष रूप से युवाओं को प्रभावित करती है, जिनके पास शिक्षा और कौशल होते हुए भी रोजगार के अवसरों का अभाव होता है। बेरोज़गारी न केवल व्यक्तिगत जीवन को कठिन बनाती है, बल्कि देश की समग्र आर्थिक वृद्धि और सामाजिक स्थिरता के लिए भी एक बड़ी बाधा है।
बेरोज़गारी का अर्थ
बेरोज़गारी का मतलब है कि एक व्यक्ति काम करने के लिए तैयार है, उसे काम की आवश्यकता है, लेकिन फिर भी उसे कोई रोजगार प्राप्त नहीं हो पाता। यह स्थिति तब उत्पन्न होती है जब कोई व्यक्ति अपनी योग्यताओं के अनुसार काम नहीं पा पाता। इसके अतिरिक्त, बेरोज़गारी का एक और रूप तब देखा जाता है जब व्यक्ति को कम वेतन पर काम करना पड़ता है, जो उसकी वास्तविक क्षमता और कौशल के अनुरूप नहीं होता। इस स्थिति को ‘अर्ध-बेरोज़गारी’ कहा जाता है, जिसमें व्यक्ति खुद को पूरी तरह से बेरोज़गार ही मानता है। बेरोज़गारी का एक और प्रकार अनपढ़ और अप्रशिक्षित व्यक्तियों से संबंधित होता है, जो अपने जीवन यापन के लिए किसी कार्य की तलाश करते हैं लेकिन उन्हें कोई अवसर नहीं मिलता।
बेरोज़गारी के कारण
बेरोज़गारी के कई कारण हैं जो इसे और भी जटिल बनाते हैं:
- जनसंख्या वृद्धि – भारत की बढ़ती जनसंख्या एक मुख्य कारण है, जिससे रोजगार के अवसरों की आपूर्ति कम हो जाती है, जबकि श्रमिकों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है।
- शिक्षा प्रणाली में खामी – भारत की शिक्षा प्रणाली में व्यावहारिक शिक्षा की बजाय सैद्धांतिक शिक्षा को अधिक महत्त्व दिया जाता है, जिससे विद्यार्थियों को रोजगार के लिए आवश्यक कौशल नहीं मिल पाता।
- कुटीर उद्योगों की उपेक्षा – कुटीर उद्योगों की उपेक्षा और उनका विकास न होना भी बेरोज़गारी का एक बड़ा कारण है। इन उद्योगों में बड़े पैमाने पर रोजगार उत्पन्न करने की क्षमता होती है।
- प्राकृतिक संसाधनों का सही उपयोग न होना – भारत के पास विशाल प्राकृतिक संसाधन हैं, लेकिन इनका पूरा उपयोग नहीं किया जाता, जिससे रोजगार के अवसर सीमित हो जाते हैं।
- कृषि क्षेत्र में बेरोज़गारी – भारतीय कृषि प्रणाली में कमियाँ होने के कारण यहाँ भी बेरोज़गारी बढ़ रही है। कृषि क्षेत्र में रोजगार के अवसरों की कमी और पारंपरिक खेती की समस्याएँ किसानों को शहरों की ओर पलायन करने के लिए मजबूर करती हैं।
- कुशल व्यक्तियों की कमी – उद्योगों में कुशल श्रमिकों की कमी है, जिसके कारण उद्योगों को विदेशी कर्मचारियों को लाने की आवश्यकता होती है। इससे बेरोज़गारी और बढ़ जाती है।
बेरोज़गारी कम करने के उपाय
बेरोज़गारी को कम करने के लिए कई उपायों की आवश्यकता है, जिनमें निम्नलिखित प्रमुख हैं:
- शिक्षा प्रणाली में सुधार – शिक्षा के क्षेत्र में व्यावहारिक और कौशल आधारित शिक्षा को बढ़ावा देना चाहिए ताकि युवाओं को रोजगार के लिए आवश्यक कौशल मिल सके।
- जनसंख्या नियंत्रण – जनसंख्या वृद्धि को नियंत्रित करने के लिए सरकार को प्रभावी जनसंख्या नियंत्रण नीति लागू करनी चाहिए, ताकि रोजगार के अवसर अधिक बन सकें।
- कुटीर उद्योगों को बढ़ावा देना – कुटीर और छोटे उद्योगों के विकास पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए क्योंकि यह क्षेत्र रोजगार सृजन के लिहाज से अत्यधिक महत्वपूर्ण है।
- सहायक उद्योगों का विकास – मुख्य उद्योगों के साथ-साथ सहायक उद्योगों पर भी ध्यान देना चाहिए, जिससे रोजगार के अवसर अधिक उत्पन्न हो सकें।
- अवसंरचना विकास – सड़कों का निर्माण, रेल परिवहन, पुलों और बाँधों का निर्माण, वृक्षारोपण जैसे कार्यों के माध्यम से लाखों रोजगार के अवसर सृजित किए जा सकते हैं।
- कृषि को प्रोत्साहन देना – कृषि क्षेत्र को अधिक सुविधाएँ और प्रोत्साहन देने से ग्रामीण इलाकों में रोजगार के अवसर उत्पन्न हो सकते हैं, और इससे शहरीकरण की दर में भी कमी आ सकती है।
बेरोज़गारी के दुष्प्रभाव
बेरोज़गारी के न केवल आर्थिक प्रभाव होते हैं, बल्कि इसके सामाजिक और मानसिक दुष्परिणाम भी होते हैं। बेरोज़गारी से निर्धनता बढ़ती है, और इससे भुखमरी जैसी समस्याएँ उत्पन्न हो सकती हैं। मानसिक अशांति, अवसाद और हताशा भी बेरोज़गारी के कारण उत्पन्न होती है। बेरोज़गार व्यक्ति को समाज में अपनी स्थिति को लेकर हीन भावना का सामना करना पड़ता है, जिससे वह अपराध और हिंसा की ओर प्रवृत्त हो सकता है। बेरोज़गारी का एक अत्यधिक खतरनाक परिणाम आत्महत्या के रूप में भी सामने आता है, जहाँ लोग जीवन से निराश होकर अपनी जान तक ले लेते हैं।
उपसंहार
बेरोज़गारी किसी भी देश के लिए एक अभिशाप है, क्योंकि इसके कारण न केवल देश की आर्थिक वृद्धि प्रभावित होती है, बल्कि सामाजिक असंतोष और अपराध भी बढ़ते हैं। इसे हल करने के लिए सरकार और निजी संस्थाओं को मिलकर ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है। शिक्षा, कौशल विकास, उद्योगों का विकास और अवसंरचना परियोजनाएँ रोजगार के अवसरों को बढ़ाने में सहायक हो सकती हैं। केवल बेरोज़गारी के मुद्दे पर ध्यान केंद्रित करके ही हम इसे कम कर सकते हैं और देश के समग्र विकास की दिशा में सकारात्मक कदम उठा सकते हैं।