रूपरेखा
- प्रस्तावना
- महँगाई के कारण
- महँगाई के फलस्वरूप उत्पन्न होनेवाली कठिनाइयाँ
- महँगाई को दूर करने के लिए सुझाव
- उपसंहार
प्रस्तावना
महँगाई, भारत की सबसे बड़ी आर्थिक समस्याओं में से एक है। यह समस्या देश की अधिकांश जनता, विशेषकर गरीब और मध्यवर्गीय परिवारों को प्रभावित करती है। महँगाई का सीधा मतलब है वस्तुओं और सेवाओं की कीमतों में लगातार वृद्धि होना। जब हम किसी चीज को एक बार खरीदने के बाद फिर से खरीदते हैं, तो हमें वही चीज पहले से अधिक कीमत पर मिलती है। यह स्थिति रोज़मर्रा की ज़िंदगी में बहुत परेशानी का कारण बनती है।
महँगाई के कारण
महँगाई के कारणों को मुख्य रूप से आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक कारणों के तहत बाँटा जा सकता है। इन कारणों का असर हर किसी की ज़िंदगी पर पड़ता है।
(क) जनसंख्या में तेजी से वृद्धि
भारत में जनसंख्या बहुत तेजी से बढ़ रही है। जब जनसंख्या बढ़ती है, तो लोगों की ज़रूरतें भी बढ़ जाती हैं। लेकिन, उत्पादन उतना नहीं बढ़ता। उदाहरण के लिए, यदि खाने की चीज़ों की मांग बढ़ती है, लेकिन उत्पादन कम होता है, तो उसके दाम बढ़ जाते हैं। इसका असर सीधे महँगाई पर पड़ता है।
(ख) कृषि-उत्पादन व्यय में वृद्धि
भारत एक कृषि प्रधान देश है और यहाँ की अधिकांश जनसंख्या खेती पर निर्भर है। लेकिन, खेती में काम आनेवाले उपकरणों, बीजों, उर्वरकों और श्रमिकों की लागत बढ़ गई है। इसका असर कृषि उत्पादों की कीमतों पर पड़ता है, और जब कृषि उत्पाद महंगे होते हैं, तो इसका असर अन्य वस्तुओं पर भी पड़ता है।
(ग) कृत्रिम रूप से वस्तुओं की आपूर्ति में कमी
कभी-कभी व्यापारी जानबूझकर कुछ वस्तुओं की कमी पैदा कर देते हैं ताकि उनकी कीमतें बढ़ा सकें। उदाहरण के लिए, कुछ व्यापारी अपने गोदामों में वस्तुएँ छिपा देते हैं और बाजार में उनकी कमी दिखाकर कीमतें बढ़ा देते हैं। इससे महँगाई और बढ़ जाती है।
(घ) मुद्रा-प्रसार
जब सरकार अपने खर्चों को पूरा करने के लिए अधिक नोट छापती है, तो बाजार में मुद्रा की आपूर्ति बढ़ जाती है। इसका मतलब है कि अधिक पैसे का चलन होने से उन पैसों की वास्तविक कीमत घट जाती है, और सामान महँगा हो जाता है। इसी कारण महँगाई में वृद्धि होती है।
(ङ) प्रशासन में शिथिलता
जब सरकार या प्रशासन मजबूत नहीं होता, तो वह वस्तुओं की कीमतों पर नियंत्रण नहीं रख पाता। इससे व्यापारी अपनी मर्जी से कीमतें बढ़ा सकते हैं और महँगाई बढ़ जाती है। यदि प्रशासन चुस्त और जागरूक होता, तो वह महँगाई को रोकने के लिए कदम उठा सकता था।
(च) घाटे का बजट
जब सरकार अपने खर्चों को पूरा करने के लिए घाटे का बजट बनाती है, तो वह अधिक पैसे छापने का रास्ता अपनाती है। इससे बाजार में मुद्रा की अधिकता हो जाती है, और सामान महँगा हो जाता है। इससे महँगाई बढ़ती है।
(छ) असंगठित उपभोक्ता
भारत में उपभोक्ता अक्सर असंगठित होते हैं, जिसका फायदा व्यापारी उठाते हैं। व्यापारी कीमतों को बढ़ाने के लिए सामूहिक रूप से एक संगठन बना सकते हैं, लेकिन उपभोक्ताओं का कोई ऐसा संगठन नहीं होता जो उनके हितों की रक्षा कर सके। इसका परिणाम यह होता है कि वस्तुएँ महँगी बिकती हैं और उपभोक्ताओं को अधिक पैसे खर्च करने पड़ते हैं।
(ज) धन का असमान वितरण
भारत में अधिकतर धन कुछ ही लोगों के पास होता है। वे लोग अधिक पैसे खर्च कर वस्तुएँ खरीद लेते हैं। व्यापारी इस प्रवृत्ति का फायदा उठाते हैं और महँगाई बढ़ाते हैं। जब धन का असमान वितरण होता है, तो इससे महँगाई और बढ़ जाती है।
महँगाई के फलस्वरूप उत्पन्न होनेवाली कठिनाइयाँ
महँगाई का सबसे बड़ा असर गरीब और मध्यवर्गीय परिवारों पर पड़ता है। इन परिवारों की आय सीमित होती है, और महँगाई बढ़ने से उनके लिए आवश्यक चीज़ों को खरीदना मुश्किल हो जाता है।
- गरीबों की परेशानी:
गरीब लोग महँगाई के कारण अपनी दैनिक ज़रूरतों को पूरा नहीं कर पाते। खाद्य पदार्थों, वस्त्रों और अन्य जरूरी सामान की कीमतें बढ़ने से उनका जीवन बहुत कठिन हो जाता है। - कालाबाजारी:
जब महँगाई बढ़ती है, तो व्यापारी अपनी वस्तुएँ गोदामों में छिपा कर रखते हैं और अधिक मूल्य पर बेचते हैं। इससे कालाबाजारी को बढ़ावा मिलता है, और लोग वस्तुएँ खरीदने के लिए मजबूर होते हैं। - आर्थिक विकास में रुकावट:
महँगाई के कारण देश की अर्थव्यवस्था कमजोर हो जाती है। सरकार के पास विकास के लिए पर्याप्त धन नहीं होता, और विकास योजनाओं को लागू करने में मुश्किलें आती हैं।
महँगाई को दूर करने के लिए सुझाव
महँगाई को नियंत्रित करने के लिए कुछ महत्वपूर्ण कदम उठाए जा सकते हैं:
- कृषि उत्पादन को बढ़ाना:
सरकार को किसानों को सस्ते मूल्य पर खाद, बीज, और उपकरण उपलब्ध कराने चाहिए। इससे कृषि उत्पादन बढ़ेगा और कृषि उत्पादों की कीमतें कम होंगी, जिससे महँगाई कम होगी। - मुद्रास्फीति पर नियंत्रण:
सरकार को घाटे के बजट से बचने के लिए अपनी नीतियाँ सुधारनी चाहिए। नए नोट छापने की प्रक्रिया को नियंत्रित करना होगा ताकि बाजार में मुद्रा की अधिकता न हो। - जनसंख्या नियंत्रण:
जनसंख्या वृद्धि को नियंत्रित करने के लिए सरकार को जागरूकता फैलानी चाहिए और योजनाएँ बनानी चाहिए। इससे माँग और आपूर्ति के बीच संतुलन बना रहेगा। - धन का समान वितरण:
धन का समान वितरण सुनिश्चित करने के लिए सरकार को योजनाएँ बनानी चाहिए। सहकारी वितरण संस्थाएँ इस दिशा में मदद कर सकती हैं। - प्रशासन को मजबूत बनाना:
प्रशासन को चुस्त और सक्षम बनाना होगा ताकि वह बाजार में वस्तुओं की कीमतों को नियंत्रित कर सके और व्यापारी वर्ग पर कड़ी निगरानी रख सके।
उपसंहार
महँगाई भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए एक गंभीर समस्या बन चुकी है। इसकी वजह से गरीब और मध्यम वर्गीय परिवारों को बहुत परेशानियाँ हो रही हैं। सरकार को महँगाई को नियंत्रित करने के लिए त्वरित और प्रभावी कदम उठाने होंगे, ताकि यह समस्या आगे चलकर और न बढ़े। महँगाई का समाधान तभी संभव है जब हम सभी मिलकर इसे नियंत्रित करने के उपायों पर काम करें। यदि महँगाई को समय रहते नहीं रोका गया, तो हमारी अर्थव्यवस्था और समाज पर इसका बहुत बुरा असर पड़ेगा।