नाम | आचार्य रामचंद्र शुक्ल |
जन्म | 4 अक्टूबर 1884 ई० |
जन्म स्थान | बस्ती जिले के अगोना नामक गाँव में |
पिता का नाम | श्री चन्द्रबली शुक्ल |
माता का नाम | कोई साक्ष्य – प्रमाण प्राप्त नही है | |
शिक्षा | इंटरमीडिएट |
मृत्यु | 2 फरवरी सन् 1941 ई० |
पेशा | लेखक, इतिहासकार |
लेखन विधा | आलोचना, निबंध, नाटक, पत्रिका, काव्य आदि |
भाषा | शुद्ध, साहित्यिक, सरल एवं व्यावहारिक |
शैली | विवेचनात्मक, व्याख्यात्मक, वर्णनात्मक, आलोचनात्मक, भावात्मक तथा हास्य व्यंग्यात्मक |
साहित्यिक उपलब्धि | आलोचना का सम्राट |
रचनाएँ | विचारवीथी, चिंतामणि, जायसी ग्रंथावली, भ्रमर गीतसार, सूरदास, रस – मीमांसा आदि | |
जीवन परिचय- आचार्य रामचन्द्र शुक्ल का जन्म 1884 ई० में बस्ती जिले के अगोना नामक ग्राम में हुआ था। उनके पिता का नाम चन्द्रबली शुक्ल था। इन्होंने हिन्दी, अंग्रेजी संस्कृत, बांग्ला, उर्दू, फारसी आदि भाषाओं का ज्ञान स्वाध्याय से प्राप्त किया। शुक्ल जी ने लेखन का शुभारम्भ कविता से किया था। नाटक लेखन की ओर भी इनकी रुचि रही। जीवन के अन्तिम समय तक साहित्य साधना करने वाले शुक्ल जी का निधन सन् 1941 में हुआ।
निबन्ध- चिन्तामणि (दो भाग), विचारवीथी।
आलोचना- रसमीमांसा, त्रिवेणी (सूर, तुलसी और जायसी पर आलोचनाएँ)।
इतिहास- हिन्दी साहित्य का इतिहास।
सम्पादन- तुलसी ग्रन्थावली, जायसी ग्रन्थावली, हिन्दी-शब्द सागर, नागरी प्रचारिणी पत्रिका, भ्रमरगीत सार, आनन्द कादम्बिनी।
काव्य रचनाएँ-‘अभिमन्यु वध’, ‘ग्यारह वर्ष का समय’।
भाषा शैली- शुक्ल जी ने अपनी रचनाओं में शुद्ध साहित्यिक, सरल एवं व्यावहारिक भाषा का प्रयोग किया है।
हिन्दी साहित्य में स्थान- शुक्ल जी हिन्दी साहित्य के आलोचक, निबन्धकार एवं युग प्रवर्तक सहित्यकार थे। शुक्ल जी को हिन्दी साहित्य जगत में आलोचना का सम्राट कहा जाता है।