छात्र जीवन में अनुशासन
भूमिका
“अनुशासन” शब्द ‘शासन’ में ‘अनु’ उपसर्ग के जुड़ने से बना है, जिसका शाब्दिक अर्थ है – “शासन के पीछे चलना”। सामान्यत: यह माता-पिता या गुरुजनों के आदेशों का पालन करना ही माना जाता है, लेकिन इसके दायरे को थोड़ा व्यापक रूप से देखा जाए तो अनुशासन का अर्थ है स्वयं को नियंत्रित रखना और जीवन के प्रत्येक पहलू में उचित आचरण अपनाना। अनुशासन न केवल व्यक्तिगत जीवन के लिए, बल्कि सामाजिक जीवन में भी अत्यधिक महत्वपूर्ण है। यह व्यक्ति को जीवन में स्थिरता और सफलता की ओर मार्गदर्शन करता है।
अनुशासन का महत्त्व
मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है, और उसकी सामाजिकता तभी सार्थक बनती है जब वह समाज के नियमों और अनुशासन का पालन करता है। बिना अनुशासन के समाज में अराजकता और अव्यवस्था उत्पन्न हो सकती है, जो समाज के लिए हानिकारक होती है। अनुशासन के अभाव में न केवल व्यक्तिगत जीवन कठिन हो जाता है, बल्कि परिवार, संस्था और राष्ट्र के लिए भी समस्याएँ उत्पन्न हो जाती हैं। उदाहरण स्वरूप, यदि परिवार के सदस्य अनुशासित नहीं हैं, तो परिवार में अव्यवस्था उत्पन्न होती है। इसी तरह, यदि सरकारी कार्यालयों या अन्य संस्थाओं में कर्मचारियों में अनुशासन की कमी है, तो भ्रष्टाचार और कार्यों में रुकावटें उत्पन्न हो सकती हैं। स्पष्ट है कि अनुशासन न केवल व्यक्तिगत हित, बल्कि समाज और राष्ट्र की प्रगति के लिए भी आवश्यक है।
अनुशासन की आवश्यकता
यदि अनुशासन की कमी होती है, तो इसके दुष्प्रभाव समाज में दिखाई देने लगते हैं। यदि शासन उचित नहीं है, तो समाज में अनुशासनहीनता उत्पन्न होती है। उदाहरण के लिए, यदि किसी परिवार का मुखिया अपने कर्तव्यों का पालन नहीं करता और उसमें अनुशासन का अभाव है, तो पूरे परिवार में अव्यवस्था फैल जाएगी। इसी तरह, अगर किसी देश का प्रशासन अनुशासित नहीं है, तो अपराध, अराजकता और असुरक्षा का माहौल उत्पन्न हो सकता है। एक अनुशासित समाज ही शांति, समृद्धि और विकास की दिशा में अग्रसर हो सकता है। इसलिए, अनुशासन केवल व्यक्तिगत जीवन ही नहीं, बल्कि पूरे समाज और राष्ट्र की सफलता के लिए भी आवश्यक है।
अनुशासन की प्रवृत्ति का विकास करना
अनुशासन का विकास एक आंतरिक प्रक्रिया है, जो व्यक्ति की चेतना पर निर्भर करती है। यह स्व-नियंत्रण और आत्म-अनुशासन का परिणाम है। बच्चों में अनुशासन की प्रवृत्ति का विकास करना विशेष रूप से महत्वपूर्ण है, क्योंकि उनका जीवन परिवार, समाज और विद्यालय से प्रभावित होता है। यदि परिवार में सदस्य अनुशासित होते हैं, तो बच्चे भी उन्हें देखकर अनुशासन का पालन करते हैं। इसी तरह, विद्यालय और समाज में अनुशासन की शिक्षा दी जाती है। बच्चों को सही आदतें सिखाने के लिए सबसे पहले हमें अपने आचरण में सुधार लाना होगा। एक अनुशासित जीवन जीने के लिए हमें यह समझना होगा कि अनुशासन केवल बाहरी नियमों का पालन नहीं, बल्कि आंतरिक रूप से स्वयं को नियंत्रित करने की क्षमता है।
उपसंहार
किसी भी व्यक्ति की सफलता में अनुशासन का बड़ा योगदान होता है। महात्मा गांधी, स्वामी विवेकानंद, सुभाषचंद्र बोस और दयानंद सरस्वती जैसे महान नेता अपने अनुशासन के कारण ही सफलता की ऊँचाइयों तक पहुँच पाए। इसी तरह, देश की प्रगति भी उसके नागरिकों के अनुशासन पर निर्भर करती है। यदि हम चाहते हैं कि हमारा समाज और राष्ट्र विकास की दिशा में निरंतर अग्रसर रहे, तो हमें अनुशासित जीवन जीना होगा। अनुशासन न केवल व्यक्तिगत जीवन में बल्कि समाज और राष्ट्र के निर्माण में भी आवश्यक है। जब हम स्वयं अनुशासित रहते हैं, तो हम दूसरों को भी अनुशासन के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित कर सकते हैं। अंततः, यह कहा जा सकता है कि अनुशासन ही किसी भी देश की महानता का कारण बनता है और यही राष्ट्र की असली शक्ति है।