वर्णनात्मक प्रश्नोत्तर-1
प्रश्न 1. गाँवों के आर्थिक विकास में सड़कों के योगदान के चार पहलुओं की विवेचना कीजिए।
उत्तर : गाँवों के आर्थिक विकास में सड़कों के चार योगदान निम्नलिखित हैं-
- गाँवों में सड़कों के निर्माण से कृषक अपने अतिरिक्त उत्पादों को कृषि मण्डियों (बाजार केन्द्र) तक ले जाने लगे हैं, जिससे उन्हें अपनी उपजों का लाभकारी मूल्य प्राप्त होने लगा है और उनके आर्थिक स्तर में वृद्धि सम्भव हुई है।
- ग्रामीण क्षेत्रों में सड़क मार्गों के विकास से कृषि उत्पादों में पर्याप्त वृद्धि हुई है क्योंकि कृषक समय पर नवीन व सुधरे हुए परिष्कृत बीज, रासायनिक उर्वरक, कीट, कृमि, अपत्रण-नाशक पदार्थों को बाजारों से क्रय कर सकते हैं। फलस्वरूप फसलों का उत्पादन भी यथेष्ट मात्रा में होने लगा है। हरित क्रान्ति की सफलता में भी सड़क मार्गों की प्रमुख भागीदारी है।
- सड़क मार्गों द्वारा ग्रामवासियों को अपने खण्ड विकास मुख्यालयों, सामुदायिक विकास केन्द्रों, तहसील व जिला मुख्यालय, बैंकों, विपणन संस्थाओं, भूमि विकास केन्द्रों आदि से सम्पर्क करने में सुविधा प्राप्त हुई है।
- सड़कें कृषकों को अपना गन्ना शुगर मिल तक पहुँचाने में सहायक सिद्ध हुई हैं, जिससे उन्हें अपने उत्पाद का अधिक मूल्य प्राप्त होने लगा है। कृषक अब पारम्परिक कृषि को छोड़कर व्यापारिक फसलों का उत्पादन करने लगे हैं। नए कृषि यन्त्रों एवं उपकरणों के प्रयोग से उत्पादन में आशातीत वृद्धि हुई है।
प्रश्न 2. सड़क परिवहन, रेल परिवहन की अपेक्षा अधिक उपयोगी एवं लाभप्रद है?
अथवा सड़क परिवहन के कोई तीन गुण लिखिए।
उत्तर: सड़क परिवहन, रेल परिवहन की अपेक्षा अधिक उपयोगी एवं लाभप्रद सिद्ध हुआ है जिसे निम्नलिखित तथ्यों द्वारा समझा जा सकता है-
(1) सड़क मार्गों का निर्माण रेलमार्गों की अपेक्षा सस्ता पड़ता है।
(2) किसी भी प्रकार की भू-आकृति-पर्वतीय, पठारी, मैदानी, मरुस्थलीय, ऊँची-नीची, ढालू तथा बीहड़ क्षेत्रों में सड़क मार्गों का निर्माण सम्भव है, जबकि रेलमार्गों को उच्च पर्वतीय क्षेत्रों में नहीं बनाया जा सकता है।
(3) सड़क परिवहन यात्री को उसके दरवाजे (गन्तव्य) तक छोड़ सकता है. जबकि रेलें अपने निर्धारित स्टेशनों पर ही रुकती है।
(4) सड़कों के माध्यम से निर्माण केन्द्रों में उत्पादित अनेक वस्तुएँ उपभोक्ताओं तक प्रत्यक्ष रूप में पहुंचा दी जाती हैं। इसमें माल को बार-बार लादना-उतारना नहीं पड़ता है। इसके विपरीत रेलमार्गों द्वारा उपभोक्ताओं को विभिन्न वस्तुएँ उपलब्ध कराने के लिए निर्माण केन्द्रों से माल स्टेशन तक पहुँचाने और स्टेशन से गन्तव्य तक भेजने में बार-बार लादना एवं उतारना पड़ता है जिससे वस्तुओं के टूटने फूटने का भय बना रहता है और समय एवं धन भी अधिक नष्ट होता है।
(5) शीघ्र खराब होने वाले पदार्थों को गन्तव्य तक पहुंचाने में सड़क मार्ग, रेलमार्ग की तुलना में अधिक उपयोगी है।
(6) रेलों द्वारा ढोए गए माल को उच्च पर्वतीय एवं दुर्गम क्षेत्रों तक पहुंचाने में सड़क मार्गों का अत्यन्त महत्त्वपूर्ण स्थान है। अतः रेलों द्वारा बोए गए माल को सीमावर्ती क्षेत्रों तक पहुँचाने का कार्य सड़क मार्गों द्वारा ही सम्पन्न किया जाता है।
प्रश्न 3. भारत में जनसंचार के साधनों का वर्णन कीजिए।
उत्तर: जनसंचार या सार्वजनिक संचार तन्त्र सरकार द्वारा नियन्त्रित होता है।\ रेडियो, टेलीविजन, सिनेमा, उपग्रह (सेटेलाइट) आदि इसके प्रमुख साधन है। कुछ समाचार-पत्र, पत्रिकाएँ, पुस्तके, जनसभाएँ, गोष्ठियों एवं सम्मेलन भी इसमें सम्मिलित है। रेडियो एवं टेलीविजन जनसंचार के सबसे लोकप्रिय साधन है जो वर्तमान समय में देश के लगभग अधिकांश घरी में ज्ञान, विज्ञान एवं मनोरजन के लिए उपयोग किए जाते हैं।
वर्णनात्मक प्रश्नोत्तर-2
प्रश्न 1. परिवहन तथा संचार के साधन किसी देश की जीवनरेखा तथा अर्थव्यवस्था क्यों कहे जाते हैं?
उत्तर: परिवहन तथा संचार के साधन वास्तव में किसी देश के मानव जीवन के लिए अनिवार्य आवश्यकताएँ हैं। टेलीविजन, टेलीफोन, रेडियो, रेलगाड़ी, बस, कार आदि परिवहन तथा संचार साधनों के अन्तर्गत आते हैं। इनके द्वारा देश की सामाजिक एवं आर्थिक दशा को गति मिलती है और क्षेत्रीय असन्तुलन को कम करने में सहायता मिलती है इसलिए परिवहन और संचार माध्यम किसी देश की जीवनरेखा और अर्थव्यवस्था के विकास का आधार कहलाते हैं। इसके पक्ष में निम्नलिखित तर्क दिए जा सकते हैं-
- उत्पादक एवं उपभोक्ताओं को मिलाने में सहायक-परिवहन के साधनों द्वारा कच्चा माल कल-कारखानों में भेजा जाता है और तैयार माल उपभोक्ताओं तक पहुँचाया जाता है। थल परिवहन तथा जल परिवहन की इसमें प्रमुख भूमिका होती है। थल परिवहन में ट्रक एवं रेलों द्वारा माल ढोया जाता है। जल परिवहन में नौगम्य नदियाँ अपनी प्रमुख भूमिका निभाती हैं जिनका देश के भीतरी भागों में महत्त्वपूर्ण स्थान है। तटीय भागों तथा विदेशों से माल के आयात एवं निर्यात करने में जल परिवहन (जलपोतों द्वारा) का प्रमुख स्थान है। इस प्रक्रिया से आर्थिक विकास को गति मिलती है।
- आवागमन में सहायक – परिवहन के साधन लोगो को उनके गन्तव्य तक ले जाने के प्रमुख माध्यम हैं। सड़क परिवहन तो लोगों को उनके दरवाजों तक पहुँचाता है जबकि रेल परिवहन लम्बी दूरी की यात्राओं में सहायक है।
- राष्ट्रीय एकता में सहायक – परिवहन के साधन देश के निवासियों को एक-दूसरे से जोड़ने में अपनी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। उन्हें एक प्रदेश और एक स्थान से दूसरे स्थान को देखने व समझने का अवसर प्रदान करते हैं। इस प्रकार राष्ट्रीय एकता और सामाजिक विकास की भावना बलवती होती है।
- मनोरंजन के साधन संचार के साधन मानव समुदाय को स्वस्थ मनोरंजन प्रदान करते हैं। मनोरंजन के साथ-साथ उनके ज्ञान में भी वृद्धि होती है और देश-विदेश को जानने व समझने की उनमें जागरूकता उत्पन्न होती है।
- सम्पर्क में सुविधा – संचार के साधन सम्पर्क स्थापित कराने में सहायक होते हैं। टेलीफोन एवं मोबाइल द्वारा घर बैठे ही विश्व के किसी भी भाग में निवास करने वाले व्यक्ति से सम्पर्क साधा जा सकता है जो आर्थिक व सामाजिक विकास में सहायक है।
- वैश्वीकरण में वृद्धि- संचार साधनों के माध्यम से देश-विदेश के समाचारों, घटनाओं, परिघटनाओं को घर बैठे ही सुना एवं देखा जा सकता है। इन साधनों ने वैश्वीकरण के द्वार खोल दिए हैं। इनके माध्यम से हम अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर आत्मनिर्भर हो सकते हैं।
उपर्युक्त कारणों से परिवहन और संचार माध्यम किसी देश की जीवन रेखा और अर्थव्यवस्था के विकास के आधार कहलाते हैं।
प्रश्न 2. भारत में विभिन्न प्रकार की जनसंचार प्रणालियों का वर्णन कीजिए।
अथवा प्रभावशाली जनसंचार माध्यम के रूप में रेडियो और दूरदर्शन की भूमिका स्पष्ट कीजिए।
अथवा भारत में संचार के साधनों का वर्णन कीजिए।
उत्तर : भारत में जनसंचार के माध्यम
जनसंचार के माध्यम राष्ट्रीय कार्यक्रमों और नीतियों के प्रति लोगों में जागरूकता पैदा करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इसके लिए मुद्रण माध्यम (समाचार-पत्र, पत्र-पत्रिकाएँ, पुस्तकें तथा फिल्मे) और इलेक्ट्रॉनिक माध्यम (आकाशवाणी/रेडियो एवं दूरदर्शन) का उपयोग किया जाता है। सूचना एवं प्रसारण मन्त्रालय देश में सूचना एवं प्रसारण के विकास तथा नियमन के लिए उत्तरदायी है। इन साधनों के माध्यम से एकसाथ बड़ी संख्या में लोगों को जानकारी या मनोरंजन प्राप्त होता है। इसी कारण इन्हें जनसंचार का माध्यम कहा जाता है। इनका विवरण निम्नलिखित है-
- आकाशवाणी-आकाशवाणी ‘बहुजन हिताय, बहुजन सुखाय’ के लक्ष्य पर कार्य करती है। स्वतन्त्रता के बाद से आकाशवाणी दुनिया के सबसे बड़े प्रसारण नेटवर्कों में से एक बन गया है। सुदूरवर्ती ग्रामीण क्षेत्रों में रेडियो आज भी मनोरंजन एवं सूचना का एक अच्छा स्रोत बना हुआ है।
- दूरदर्शन – भारत सदृश विकासशील देश में दूरदर्शन का विशेष महत्त्व है। सरकार ने इस तथ्य को भली-भाँति समझा है कि सूचनाओं के सम्प्रेषण और जन-समुदाय को शिक्षित करने में श्रव्य दृश्य माध्यम सर्वाधिक कारगर व सक्षम उपायों में से एक है। दूरदर्शन द्वारा देश में विविध प्रकार के कार्यक्रमों के प्रसारण के लिए विभिन्न चैनलों का उपयोग किया जाता है। देश में दूरदर्शन लगभग 15 करोड़ परिवारो में उपलब्ध हैं जबकि इसके अतिरिक्त लगभग 80% परिवार उपग्रहों में प्रसारित कार्यक्रमों को देखते हैं। संख्या की दृष्टि से राष्ट्रीय दूरदर्शन के दर्शकों की संख्या केबिल दर्शकों से कहीं कम है।
- मुद्रण– भारत में प्रतिवर्ष बड़ी संख्या में समाचार पत्रों और पत्र- पत्रिकाओं का प्रकाशन होता है। इनकी कुल संख्या लगभग 70,000 है। अवधि के आधार पर ये पत्रिकाएँ विभिन्न प्रकार (दैनिक, साप्ताहिक, पाक्षिक एवं मासिक) की है। लगभग 100 भाषाओं और बोलियों में समाचार पत्र-पत्रिकाएँ प्रकाशित होती हैं। सर्वाधिक समाचार-पत्र हिन्दी भाषा में प्रकाशित किए जाते हैं। इसके बाद अंग्रेजी भाषा का स्थान आता है।
- चलचित्र – संसार में भारत चलचित्रों का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक देश है। चलचित्रों के अतिरिक्त भारत में लघु फिल्मे, वीडियो फीचर फिल्में तथा वीडियो लघु फिल्में भी तैयार की जाती हैं। भारतीय तथा विदेशी फिल्में केन्द्रीय फिल्म प्रामाणिक बोर्ड द्वारा प्रमाणित की जाती है, तत्पश्चात् ही उनका प्रसारण किया जाता है।
प्रश्न 3. निम्नलिखित प्रत्येक का वर्णन लगभग 40 शब्दों में कीजिए-
- स्वर्णिम चतुर्भुज महाराजमार्ग
- राष्ट्रीय राजमार्ग
- राज्य राजमार्ग।
उत्तर :
स्वर्णिम चतुर्भुज महाराजमार्ग
स्वर्णिम चतुर्भुज महाराजमार्ग परियोजना की शुरुआत भारत सरकार ने दिल्ली-कोलकाता-चेन्नई-मुम्बई दिल्ली को छह लेन वाले राजमार्ग से जोड़ने के लिए की थी। इस परियोजना के अन्तर्गत दो गलियारे प्रस्तावित थे। प्रथम, उत्तर-दक्षिण गलियारा, जो श्रीनगर को कन्याकुमारी से जोड़ता है तथा द्वितीय, पूर्व-पश्चिम गलियारा, जो सिलचर (असम) तथा पोरबन्दर (गुजरात) को जोड़ता है। इस महाराजमार्ग का प्रमुख उद्देश्य भारत के मेगासिटी (ऐसे नगर जिनकी जनसंख्या दस लाख से अधिक है) के मध्य की दूरी व परिवहन समय को कम करना था। यह राजमार्ग परियोजना, भारत के ‘राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण’ (NHAI) के अधिकार क्षेत्र के अधीन थी। वर्ष 2012 में यह योजना पूर्ण हुई।
राष्ट्रीय राजमार्ग
राष्ट्रीय राजमार्ग देश के दूर स्थित हिस्सों को परस्पर जोड़ते हैं। इनका निर्माण व रखरखाव केन्द्रीय लोक निर्माण विभाग (CPWD) के अधिकार क्षेत्र में आता है। प्रमुख राष्ट्रीय राजमार्ग उत्तर से दक्षिण तथा पूर्व से पश्चिम दिशाओं में फैले हुए हैं। दिल्ली व अमृतसर के बीच ऐतिहासिक शेरशाह सूरी मार्ग राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या-1 के नाम से जाना जाता है। राष्ट्रीय राजमार्ग-7 (NH44) सर्वाधिक लम्बा राजमार्ग है, जो 3745 किमी लम्बा है। यह जम्मू-कश्मीर के श्रीनगर शहर को तमिलनाडु के शहर कन्याकुमारी से जोड़ता है। राष्ट्रीय राजमार्ग-8 दिल्ली व मुम्बई को जोड़ता है। इसी प्रकार राष्ट्रीय राजमार्ग-15 राजस्थान के अधिकतर भागों को जोड़ता है।
राज्य राजमार्ग
जिला मुख्यालयों को राज्य की राजधानी से जोड़ने वाली सड़कों को राज्य राजमार्ग कहते हैं। राज्य तथा केन्द्रशासित क्षेत्रों में इन सड़कों का निर्माण एवं देख-रेख राज्य का सार्वजनिक निर्माण विभाग (PWD) करता है।