मैथिलीशरण गुप्त का जीवन परिचय (Maithili Sharan Gupt ka Jeevan Parichay)

नाममैथिलीशरण गुप्त
जन्म तिथि3 अगस्त 1886
जन्म स्थानचिरगाँव, झाँसी (उत्तर प्रदेश)
मृत्यु तिथि12 दिसम्बर 1964
मृत्यु स्थानझाँसी, उत्तर प्रदेश (भारत)
आयु (मृत्यु के समय)78 वर्ष
राष्ट्रीयताभारतीय
व्यवसायनाटककार, कवि, राजनेता, अनुवादक
भाषाखड़ीबोली, ब्रजभाषा
शिक्षाप्राथमिक चिरगाँव, मैकडोनाल्ड हाई स्कूल झांसी
पिता का नामसेठ रामचरण गुप्त
माता का नामकाशीबाई गुप्त
भाई का नामसियारामशरण गुप्त
पत्नी का नामश्रीमती सरजू देवी
गुरु का नाममहावीरप्रसाद द्विवेदी। द्विवेदी युग के कवि
पुरस्कार1954 में पद्म भूषण, डी.लिट्. की उपाधि, साहित्य वाचस्पति, हिन्दुस्तानी अकादमी पुरस्कार।

जीवन परिचय- राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त का जन्म झांसी जिले के चिरगाँव नामक स्थान पर 1886 ई० में हुआ था। इनके पिता सेठ रामचरन गुप्त को हिन्दी साहित्य में विशेष प्रेम था। महात्मा गांधी ने इन्हें राष्ट्रकवि की उपाधि दी
भारत सरकार ने इन्हें पद्मभूषण’ से सम्मानित किया। 12 दिसम्बर, 1964 को इनका निधन हो गया।

साहित्य गतिविधियाँ- गुप्त जी ने खड़ीबोली के स्वरूप विकास में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया। गुप्त जी की प्रारम्भिक रचनाएं भारत-भारती आदि में इति वृत्तकथन की अधिकता दिखाई देती है।

कृतियाँ- गुप्त जी के लगभग 40 मौलिक कव्य ग्रन्थों में-
‘भारत भारती` ‘किसान’, ‘शकुंतला, ‘पंचवटी’, ‘त्रिपथगा’, ‘साकेत’, ‘यशोधरा’, ‘द्वापर’, ‘नहुष’, ‘काबा और कर्बला’ आदि रचनाएँ उल्लेखनीय हैं। गुप्त जी ने ‘अनघ’, ‘तिलोत्तमा’ एवं ‘चन्द्रहास’ जैसे तीन छोटे-छोटे पद्यबद्ध रूपक भी लिखे।

साहित्य में स्थान- मैथिलीशरण गुप्त जी की राष्ट्रीयता की भावना से हिन्दी साहित्य में इनका अपना विशेष स्थान है। हिन्दी काव्य राष्ट्रीय भावों की पुनीत गंगा को बहाने का श्रेय गुष्ट जी को ही है।

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