‘बहादुर’ कहानी का उद्देश्य –
अमरकान्त द्वारा लिखित कहानी ‘बहादुर’ एक मध्यमवर्गीय परिवार में नौकर के साथ परिवारजनों के द्वारा किए जाने वाले अत्यधिक कठोर एवं असभ्य व्यवहार की कहानी है। इस कहानी का उद्देश्य समाज में उत्पन्न वर्ग-संघर्ष को सहानुभूति द्वारा समाप्त करने का सन्देश देना है। शोषितों के प्रति प्रेम एवं मानवता का व्यवहार, ऊँच-नीच के भेद के कारण दिलों में पड़ी दरार को भर देता है। आधुनिक समाज झूठे-प्रदर्शन और शान-शौकत में विश्वास रखता है। वह बनावटी जीवन जीने में विश्वास रखता है। कहानीकार ने निम्न वर्ग के प्रति सहानुभूति दिखाई है। मध्यमवर्ग के लोगों की वास्तविकता को समझा है। कथानायक बहादुर मानवीय स्नेह एवं संवेदनाओं का भूखा है। मालिक द्वारा पीटे जाने पर, उसके द्वारा घर छोड़ देने पर, परिवार के सभी लोग अपनी भूल स्वीकार करते हैं और पश्चाताप की अग्नि में जलने लगते हैं। अब उन्हें अपनी गलती का अहसास होता है, वे स्वयं को दोषी समझते हैं। अमीर और गरीब का वर्ग-भेद मानवीय भावनाएँ ही कम कर सकती हैं। लेखक का मुख्य उद्देश्य दोनों के हृदयों का परिवर्तन है। वह सबके प्रति सहानुभूतिपूर्ण व्यवहार का सन्देश देता है।
‘बहादुर’ कहानी के वैशिष्ट्य की विवेचना-
प्रसिद्ध नए कहानीकार अमरकान्त द्वारा रचित ‘बहादुर’ कहानी एक मध्यमवर्गीय परिवार के जीवन से सम्बन्धित समस्याओं पर आधारित कहानी है। इसमें एक बेसहारा पहाड़ी
लड़के की मार्मिक कथा का वर्णन है।
कहानी के तत्त्वों के आधार पर प्रस्तुत कहानी की समीक्षा इस प्रकार है
(i) कथावस्तु/कथानक कथावस्तु की दृष्टि से अमरकान्त की सभी कहानियाँ जीवन के अन्तर्विरोधों को वास्तविक रूप में चित्रित करती हैं। उन्हें दलित, निम्न व पिछड़े वर्ग से विशेष सहानुभूति है। ‘बहादुर’ कहानी का प्रधान चरित्र उसी पिछड़े बेसहारा वर्ग का प्रतिनिधित्व करता है। बहादुर वारह-तेरह वर्ष का लड़का है, जो पिता की मृत्यु के बाद, माँ की उपेक्षा व मार से खीझकर शहर भाग आता है। उसे एक मध्यम परिवार द्वारा नौकर के रूप में अपने घर में रख लिया जाता है। वह घर के सभी काम ईमानदारी व लगन से करता है। घरवालों द्वारा डाँट-फटकार तथा मार खाकर भी, वह यथास्थिति काम करता रहता है। घरवालों द्वारा चोरी का आरोप लगाना उसे सबसे अधिक आघात – पहुँचाता है, जिसके कारण वह एक दिन बिना किसी को बताए घर से चला जाता है। आरम्भ से अन्त तक सम्पूर्ण कहानी बहादुर के इर्द-गिर्द घूमती रहती है। सहजता, स्वाभाविकता, मनोवैज्ञानिकता व यथार्थ की पृष्ठभूमि पर सुसंगठित कथावस्तु की दृष्टि से यह सफल कहानी है।
(ii) पात्र और चरित्र-चित्रण ‘बहादुर’ कहानी में मुख्य पात्र बहादुर है तथा लेखक, निर्मला, किशोर, रिश्तेदार, साले साहब, बहादुर के माता-पिता गौण पात्र हैं। कहानी की सम्पूर्ण कथावस्तु बहादुर के चरित्र पर टिकी हुई है तथा कहानी का शीर्षक भी चरित्र प्रधान है। कहानीकार ने निम्न वर्ग व मध्यम वर्ग की आन्तरिक वास्तविकताओं को उनके स्वभावगत रूप में पात्रों का चरित्र-चित्रण किया है। सभी पात्र कहानी की कथावस्तु के अनुरूप दृष्टिगत होकर अपनी-अपनी मनोवैज्ञानिकता को प्रस्तुत करने में सफल हुए हैं।
iii) कथोपकथन/संवाद प्रस्तुत कहानी का आरम्भ लेखक द्वारा ( आत्मकथात्मक शैली से होता है, परन्तु कहानी के मध्य में कथोपकथन/संवादों का सटीक प्रयोग हुआ है। कहानीकार ने सरल संक्षिप्त रोचक व गतिशील संवादों का सटीक प्रयोग कर कहानी के विकास को निरन्तर गति दी है। जैसे-
“चल बना रोटी”
“नहीं बनाऊँगा”
“जी नहीं बाबूजी !”
अतः कहा जा सकता है, कहानी के कथोपकथन/संवाद पात्रानुकूल व स्थिति के अनुकूल सजीव बन पड़े हैं।
(iv) भाषा-शैली प्रस्तुत कहानी में अमरकान्त ने सरल, स्वाभाविक और सामान्य बोलचाल की भाषा का प्रयोग किया है तथा चित्रात्मक शैली का भी प्रयोग किया है। भाषा कथा के अनुरूप है, जिसमें अन्य भाषाओं के शब्द भी लिए गए हैं; जैसे- शरारत, ओहदा, किस्सा, इज्जत आदि उर्दू शब्द हैं। लोकोक्तियों तथा मुहावरों का भी प्रयोग हुआ है; जैसे- माथा ठनकना, नौ दो ग्यारह होना, पंच बराबर होना आदि। इसके अतिरिक्त इसमें वर्णनात्मक, काव्यात्मक और आलंकारिक शैली का प्रयोग किया गया है।
(v) देशकाल और वातावरण कहानी में देशकाल और वातावरण का भी ध्यान रखा गया है। कहानी में निम्न तथा मध्यमवर्गीय परिवार के लिए सजीव तथा स्वाभाविक वातावरण का चित्रण किया गया है। अपनी आर्थिक तंगी के बावजूद समाज का मध्यम वर्ग अपनी प्रतिष्ठा स्थापित करना चाहता है। नौकर पर रोब जमाना, उससे जी-तोड़ काम कराना, उसे बात-बात पर बार-बार पीटना, गाली देना आदि घटनाओं तथा घर की अव्यवस्थित स्थिति ने पारिवारिक वातावरण को मार्मिक बना दिया है।
(iv) शीर्षक कहानी का ‘बहादुर’ शीर्षक आकर्षक व मुख्य पात्राधारित है। अमरकान्त जी की कहानी के शीर्षक व्यक्ति-विशेष से सम्बन्धित हैं। सम्पूर्ण कहानी की कथावस्तु घटनाएँ ‘बहादुर’ के इर्द-गिर्द घूमती हैं। ‘बहादुर’ कहानी का शीर्षक अत्यन्त सरल, संक्षिप्त एवं रोचक है, जो पाठक के मन में कौतूहलता उत्पन्न करता है। अतः शीर्षक की दृष्टि से ‘बहादुर’ कहानी सफल व सार्थक है।