Bholi : K.A. Abbas
Short Answer Questions (लघु उत्तरीय प्रश्न)
Q.1. Why did the Tehsildar come to Ramlal’s village? What did he ask Ramlal to do?
(रामलाल के गाँव में तहसीलदार क्यों आया? उसने रामलाल से क्या करने को कहा?)
Or When did the Tehsildar Sahib come to Bholi’s village?
(तहसीलदार साहिब भोली के गाँव में कब आए थे?
Ans. Tehsildar came to Ramlal’s village to perform the opening ceremony of a primary school for girls. He asked Ramlal to send his daughters to school.
(रामलाल के गाँव में तहसीलदार लड़कियों के प्राथमिक विद्यालय का उद्घाटन करने के लिए आया। उसने रामलाल से अपनी बेटियों को स्कूल भेजने के लिए कहा।)
Q.2. How did Bholi console her father in the end?
(भोली ने अपने पिता को अन्त में कैसे सांत्वना दी?)
Ans. When the marriage party and all other guests from Bholi’s side had gone, Ramlal stood rooted to the ground, his head bowed low with the weight of grief and shame. To console him Bholi told him that he did not need to worry about her. She would look after him and mother in their old age. She would teach in the same school where she had studied.
(जब बरात तथा भोली की तरफ के सभी मेहमान जा चुके थे, रामलाल अपना सिर दुःख व शर्म के बोझ से झुकाकर खड़ा रहा। उसे सांत्वना देने के लिए भोली ने कहा कि उसे उसकी चिन्ता करने की आवश्यकता नहीं है। वह उसकी तथा माता जी की उनके बूढ़ापे में सेवा करेगी। वह उसी विद्यालय, जहाँ से उसने पढ़ाई की थी, में पढ़ाएगी।)
Q.3. Why was Bholi reluctant to go to school with her father?
(भोली अपने पिता के साथ स्कूल जाने के लिए क्यों अनिच्छुक थी?)
Ans. Bholi was reluctant to go to school with her father because she did not know what a school was a like. When Bholi received a clean dress, she was bathed and her dry hair was oiled, she believed that she was going to a better place than her home.
(भोली अपने पिता के साथ स्कूल जाने के लिए अनिच्छुक थी क्योंकि वह नहीं जानती थी कि स्कूल कैसा होता है। जब भोली ने साफ पोशाक प्राप्त की तो उसे नहलाया गया और सूखे बालों में तेल डाला गया, तब उसे विश्वास हो गया कि वह घर से अच्छी जगह जा रही है।)
Q.4. Which incident touched Bholi’s heart the very first day at school?
(पहले ही दिन स्कूल में किस घटना ने भोली पर गहरा प्रभाव डाला?)
Ans. When the school bell rang, all the girls went out of the class. The teacher called ‘Bholi! The teacher’s voice was so soft and soothing! In all her life Bholi had never been called like that. It touched her heart.
(स्कूल की घण्टी बजने पर सभी लड़कियाँ कक्षा से बाहर आ गईं। अध्यापिका ने पुकारा ‘भोली’! अध्यापिका की आवाज कोमल और सुखद थी! अपने पूरे जीवन भर भोली को उस तरह कभी नहीं पुकारा गया था। इसने उसका हृदय छू लिया।)
Q.5. Does Bholi enjoy her first day at school?
(क्या भोली के लिए स्कूल का पहला दिन सुखद रहा?)
Ans. Yes, Bholi enjoyed her first day in school. She was glad to find so many girls of her own age present there. She hoped that one of these girls might become her friend. The colours of the pictures on the wall made her happy on this very day.
(हाँ, भोली ने स्कूल में पहले ही दिन आनन्द उठाया। उसने वहाँ अपनी आयु की अनेक लड़कियाँ देखी और खुश हुई। उसे आशा थी कि इन लड़कियों में से कोई एक उसकी मित्र बन सकती है। इसी दिन दीवारों पर बनी तस्वीरों के रंगों से उसे खुशी मिली।)
Q.6. Does she find her teacher different from the people at home?
(क्या उसे अपनी शिक्षिका घर के सदस्यों से अलग प्रकार की लगी?)
Ans. All the family members at home despised and ignored Bholi. But her teacher spoke with Bholi in a soothing and affectionate voice. She encouraged her lovingly. Thus, Bholi found her teacher different from the people at home.
(घर के सभी सदस्य भोली को तुच्छ और अपेक्षित मानते थे। लेकिन उसकी अध्यापिका उससे अच्छी और स्नेहमयी भाषा में बात करती थी। वह उसे प्यार से प्रोत्साहित करती थी। इस तरह भोली ने घर के सदस्यों की अपेक्षा अपनी अध्यापिका को बिल्कुल अलग पाया।)
Q.7. Why was Bholi’s father worried about her?
(भोली के पिता उसके लिए चिन्तित क्यों थे?)
Ans. Ramlal was Bholi’s father. He had seven children- three sons and four daughters. Among daughters, Bholi was the youngest. Unlike her siblings, she was less intelligent, had pockmarks on her face and stammered. Finding a suitable boy for her to marry her, was an uphill task. So, he was worried about her.
(रामलाल भोली के पिता थे। उनके सात बच्चे-तीन बेटे तथा चार बेटियाँ थीं। बेटियों में भोली सबसे छोटी थी। अपने भाई-बहनों के विपरीत वह कम बुद्धिमान थी, उसके चेहरे पर चेचक के दाग थे तथा वह हकलाती थी। उसके लिए सुयोग्य वर ढूँढ़ना बहुत मुश्किल कार्य था। इसलिए वह उसके लिए चिन्तित थे।)
Q.8. Why did Bishamber’s marriage with Bholi not take place?
(विशम्बर की शादी भोली के साथ क्यों नहीं हुई?)
Ans. Bholi’s was marrying Bishamber only to please her parents. However, when he insulted Bholi’s father in front of everyone and asked for five thousand rupees to marry a girl with pockmarks on her face, Bholi become furious. She thought him to be a greedy, mean and hateful man. So, she refused to marry him.
(भोली बिशम्बर से केवल अपने माता-पिता को खुश करने के लिए विवाह कर रही थी जबकि विशम्बर ने सबके सामने भोली के पिता का अपमान किया और चेचक के दाग वाले चेहरे वाली लड़की से विवाह करने के लिए 5000 रुपये माँगे। भोली क्रोधित हो गयी। उसने उसे लालची, कमीना और घृणित आदमी समझा। इसलिए उसने उससे विवाह करने के लिए मना कर दिया)
Long Answer Questions (विस्तृत उत्तरीय प्रश्न)
Q.1. How did Bholi’s teacher play an important role in changing the course of her life?
(उसके जीवन का मार्ग बदलने में भोली की अध्यापिका ने कैसी भूमिका निभाई?)
Or Describe the role of Bholi’s teacher in her life.
(भोली की अध्यापिका की उसके जीवन में भूमिका का वर्णन करें।)
Ans. This is aptly proved in the story of Bholi who gets a completely new personality and identity all because of the sincere and genuine efforts of her teacher. Her teacher’s loving words touched the innocent heart of Bholi. They instilled in her the confidence to come up to her teacher’s expectations because she did not want to let down such a kind goddess. Her teacher plays a very pivotal role in her life to give her the courage to stand up for has own self-respect and fight for her own right which has always been denied by man.
(यह तथ्य भोली की कहानी में सिद्ध हो जाता है। भोली पूरी तरह से नया व्यक्तित्व और पहचान प्राप्त करती है। इसका एकमात्र कारण उसकी शिक्षिका का गम्भीर और वास्तविक प्रयास है। उसकी शिक्षिका के स्नेहयुक्त शब्दों ने भोली के भोले-भाले हृदय को स्पर्श किया। उन शब्दों ने भोली में आत्मविश्वास पैदा किया कि वह अपनी शिक्षिका की उम्मीद के अनुकूल ऊपर उठी क्योंकि भोली नहीं चाहती थी कि वह एक दयावान देवी का तिरस्कार करे। उसकी शिक्षिका ने भोली
के जीवन में निर्णायक भूमिका का निर्वाह किया। उसने उसमें साहस भरा ताकि वह अपने आत्मसम्मान के लिए संघर्ष करे और अपने अधिकार के लिए लड़े जिसको पुरुष सदैव उसको स्वीकार करने से मना करता आया है।)
Q.2. On the basis of your understanding of the story, sketch the character of Bholi.
(कहानी को समझने के पश्चात् उसके आधार पर भोली का चरित्र-चित्रण कीजिए।)
Or Describe the character of Sulekha as depicted in the story ‘Bholi’.
(भोली’ कहानी में वर्णित सुलेखा का चरित्र-चित्रण कीजिए।)
Ans. Introduction: Though her name was Sulekha since her childhood everyone had nicknamed her Bholi, the simpleton.
Early Barriers Removed: Her education washed and polished her brain. Her intelligence surfaced and shone. She understood the things. She had not hesitation to speak her mind. She was outspoken.
Confidence: She gained confidence. She knew her mind. At the time of her marriage, she spoke in a clear loud voice. Her parents, sisters, brothers, relations and neighbours were startled to hear her speak without even the slightest stammer.
Self-respect: She asked her father to take back his money from Bishamber Nath. She refused to marry that man who was a mean, greedy and contemptible coward.
Conclusion: Sulekha told her parents that she needn’t get married. She assured them that she would help them in their old age.
(परिचय – यद्यपि उसका नाम सुलेखा था लेकिन बचपन से ही हरेक व्यक्ति ने उसका उपनाम भोली अर्थात् बुद्धू रख दिया।
प्रारम्भिक बाधाएँ दूर हुईं – उसकी शिक्षा ने उसके मस्तिष्क को साफ किया और उसको चमकाया। उसकी बुद्धिमानी उभरकर बाहर आई और चमकी। वह चीजों को समझती थी। वह अपने मन में आई बात को बोलने में झिझकती नहीं थी। वह खरा बोलने वाली थी।
विश्वास – उसने विश्वास प्राप्त किया। वह अपने मस्तिष्क को समझती थी। अपनी शादी के समय वह स्पष्ट और जोर की आवाज में बोली। जब वह तनिक भी हकलाहट के साथ नहीं बोली तो उसके माता-पिता, बहने, भाई, सम्बन्धी और पड़ोसी ‘चौंक गए।
आत्मसम्मान – उसने अपने पिता को कहा कि विशम्बरनाथ से अपना धन वापस ले लो। उसने उस आदमी से विवाह करने के लिए मना कर दिया जो कमीना, लालची और अनादर के योग्य कायर है।
उपसंहार – सुलेखा ने अपने माता-पिता से कहा कि उसको शादी करने की आवश्यकता नहीं है। उसने उनको विश्वास दिलाया कि वह उनके बुढ़ापे का सहारा बनेगी।)
Q.3. How was Bholi taken to school for her primary education?
(भोली को उसकी प्राथमिक शिक्षा दिलाने के लिए विद्यालय कैसे ले जाया गया?)
Ans. When Bholi was seven years old, a primary school for girls was opened in her village. The opening ceremony was performed by the Tehsildar sahib who asked Ramlal to send his daughters to school to set an example before the other villagers. Ramlal chose Bholi to send to the school after learning that she was being taken to school, Bholi was frightened and refused to go. When she was bathed, her hair was oiled and combed properly and she was made to wear clean dress, she realised that she was being taken to a better place than home. Thus, Bholi was properly cleaned and ‘dressed to be taken to school.
(जब भोली सात वर्ष की थी उसके गाँव में लड़कियों के लिए एक प्राथमिक विद्यालय खोला गया था। शुभारम्भ समारोह तहसीलदार साहिब द्वारा किया गया जिन्होंने अन्य गाँव वालों के सामने उदाहरण पेश करने के लिए रामलाल से उसकी बेटियों को विद्यालय में भेजने को कहा। रामलाल ने विद्यालय में भेजने के लिए भोली को चुना। यह जानने के बाद की उसे विद्यालय ले जाया जा रहा था, भोली डर गई और उसने जाने से मना कर दिया। जब उसे नहलाया गया, उसके बालों में तेल लगाया गया तथा सही से कंघी करी गई तथा उसे साफ कपड़े पहनाए गए, उसने महसूस किया कि उसे घर से बेहतर जगह ले जाया जा रहा था। इस प्रकार भोली को विद्यालय ले जाने के लिए सही प्रकार से साफ किया गया तथा ‘कपड़े पहनाए गए।)
Q.4. “Dowry is negation of girl’s dignity”. Discuss it with reference to the story ‘Bholi’.
(“दहेज एक लड़की के सम्मान को अस्वीकार करना है।” ‘भोली’ कहानी के सन्दर्भ में इस पर चर्चा करें।)
Ans. The story ‘Bholi’ also throws light on the issue of dowry. Dowry has been an integral part of marriages in India for ages. Girls are accepted or rejected on the basis of size of S dowry and whether the demand of dowry is fulfilled by the
girl side. All other qualities of girls become secondary and are sidelined. This practice is an injustice to girls and is a negation of their dignity. We see this happening when Bishamber refuses to marry Bholi because she has pockmarks on her face. He agrees to marry her when he is paid five thousand rupees as dowry. Feelings and respect of Bholi hold no importance of neither for Bishamber nor for her parents. This shows, all the shortcomings of a girl can be bargained if the boy is paid enough dowry in the form of money and things. (कहानी ‘भोली’ दहेज के मसले पर भी प्रकाश डालती है। युगों-युगों से दहेज
भारत में होने वाली शादियों का अभिन्न अंग रहा है। लड़कियों को दहेज के आकार तथा कन्या-पक्ष द्वारा चुकाए गए दहेज के आधार पर स्वीकार या अस्वीकार किया जाता है। लड़कियों की अन्य सभी गुण दोयम दर्जे के हो जाते हैं तथा अनदेखे कर दिए जाते हैं। यह प्रथा लड़कियों के विरुद्ध अन्याय है तथा उनके सम्मान को अस्वीकार करना है। हम ऐसा होते देखते हैं जब बिशम्बर भोली से विवाह करने से मना कर देता है क्योंकि उसके चेहरे पर चेचक के दाग हैं। वह उससे विवाह करने के लिए तैयार हो जाता है जब उसे दहेज के रूप में पाँच हजार रुपए चुकाए जाते हैं। भोली की भावनाएँ तथा सम्मान न तो बिशम्बर और न ही उसके माता-पिता के लिए कोई महत्त्व रखते हैं। यह दिखाता है कि एक लड़कीकी सभी कमियों का मोल-भाव किया जा सकता है यदि लड़के को धन तथा सामान के रूप में पर्याप्त दहेज चुकाया जाए।)