वर्णनात्मक प्रश्नोत्तर-1▼
प्रश्न 1. लोग लोकतन्त्र क्यों अधिक पसन्द करते हैं? चार कारण देकर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर : लोग लोकतन्त्र को निम्नलिखित कारणों से अधिक पसन्द करते हैं-
- लोकतन्त्र एक पारदर्शी शासन व्यवस्था है। लोकतन्त्र में इस बात की पूर्ण व्यवस्था होती है कि निर्णय विधिसम्मत होंगे और अगर कोई नागरिक यह जानना चाहे कि निर्णय लेने में नियमों का पालन हुआ है या नहीं तो वह इसका पता कर सकता है।
- नियमित और निष्पक्ष चुनाव, प्रमुख नीतियों और नये कानूनों पर सार्वजनिक बहस और सरकार तथा इसके काम-काज के विषय में जानकारी पाने का नागरिको का ‘सूचना का अधिकार’ इसे और अधिक लोकप्रिय बनाता है।
- लोकतान्त्रिक शासन व्यवस्था वैध शासन व्यवस्था है क्योकि लोकतान्त्रिक शासन-व्यवस्था लोगों की अपनी शासन-व्यवस्था है।
- यह व्यवस्था नागरिको मे समानता को बढ़ावा देती है, व्यक्ति की गरिमा को बढ़ाती है, टकरावों को कम करती है और इसमे गलतियों को सुधारने की सम्भावना होती है।
प्रश्न 2. उत्तरदायी शासन क्या है? इसकी दो विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर: एक निश्चित समय एवं अन्तराल पर निर्वाचन की व्यवस्था द्वारा सरकार का गठन कर शासन चलाना उत्तरदायी शासन कहलाता है। इसकी दो विशेषताएँ निम्नलिखित है-
- इस प्रकार की उत्तरदायी सरकार का गठन जनता स्वयं करती है।
- उत्तरदायी शासन में एक वैध सरकार होती है।
प्रश्न 3. लोकतन्त्र किस प्रकार उत्तरदायी, जिम्मेदार तथा वैध सरकार का गठन करता है?
उत्तर : लोकतन्त्र में उत्तरदायी, जिम्मेदार तथा वैध सरकार का गठन करना लोकतन्त्र निम्न प्रकार से उत्तरदायी, जिम्मेदार तथा वैध सरकार का गठन करता है-
- (1) लोकतन्त्र में सरकार जनता के प्रति उत्तरदायी तथा जवाबदेह होती है। सरकार का गठन मतदाताओं के मतों के आधार पर होता है। नागरिक अपने ऊपर शासन करने वाले प्रतिनिधियों का चुनाव करते हैं। अतः उनको यह अधिकार प्राप्त होता है कि वे शासनकाल में उनके कार्यकलापों तथा नीतियों के सम्बन्ध में पूछताछ कर सकते हैं।
- (2) लोकतन्त्र में सरकार वैध होती है क्योकि सरकार का गठन मतदान द्वारा होता है। जनता जिस भी राजनीतिक दल की नीतियों तथा कार्यक्रमों से सन्तुष्ट है, उसे अपना मत प्रदान करती है। अतः लोकतन्त्र में सरकार नागरिको की निष्ठा तथा विश्वास को जीत लेती है।
- (3) अनेक देशों में ऐसे तरीकों को अपनाया जा रहा है जहाँ नागरिक निर्णय लेने की प्रक्रिया में सहभागिता रखते हैं क्योकि सरकार के निर्णय सभी नागरिकों को प्रभावित करते हैं। इस प्रकार से लोकतन्त्र का मौलिक परिणाम यह होता है कि यह ऐसी सरकार नागरिकों को प्रदान करती है, जो अन्ततोगत्वा नागरिकों के प्रति उत्तरदायी होती है।
- (4) लोकतन्त्र में जिम्मेदार सरकार होती है। यह अपने देश के नागरिकों, मतदाताओं तथा निर्वाचन मण्डल के प्रति जिम्मेदार होती है। यह अपने नागरिको की राय, आवश्यकताओं एवं उम्मीदवारों के प्रति सचेत रहती है।
- (5) लोकतन्त्र वैधानिक सरकार होती है क्योंकि सरकार निश्चित अवधि के लिए सत्ता में बनी रहती है। यह अवधि सामान्यतया 5 वर्ष की होती है। अवधि समाप्त होने से पूर्व ही यह मतदाताओं से पुनः कार्य करने की स्वीकृति प्राप्त करती है। चुनाव के उपरान्त सविधान के अनुसार कार्य करती है। जब सरकार विधायिका में बहुमत खो देती है तो यह तुरन्त त्यागपत्र दे देती है तथा मतदाताओं से पुनः जनादेश प्राप्त करने के लिए चुनाव मैदान में आ जाती है।
प्रश्न 4. लोकतन्त्र का क्या अर्थ है? इसकी चार प्रमुख विशेषताएँ बताइए।
उत्तर : अब्राहम लिंकन के अनुसार, “लोकतन्त्र जनता का, जनता के लिए तथा जनता द्वारा शासन है।” लोकतन्त्र की चार प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं-
- (1) लोकतन्त्र नागरिकों के अधिकारों तथा स्वतन्त्रताओं को बनाए रखता है तथा उनको उचित सम्मान भी प्रदान करता है।
- (2) लोकतन्त्र सहमति का शासन है। लोकतन्त्र में जनता यह अनुभव करती है कि वह स्वयं अपने ऊपर शासन कर रही है। अतः लोकतन्त्र में नागरिक सरकार के साथ पूर्ण सहयोग करते हैं।
- (3) लोकतन्त्र में कानून जन-इच्छाओं तथा आकांक्षाओं का प्रतिरूप होते हैं। कानून जनता की इच्छाओं के अनुरूप बनाए जाते हैं। यदि सरकार जन-विरोधी कानूनों का निर्माण करती है तो जनता को ऐसे कानूनों का विरोध करने का भी अधिकार प्राप्त होता है।
- (4) लोकतन्त्र नैतिकता तथा आदर्श पर बल देता है। अतः लोकतान्त्रिक शासन-व्यवस्था समस्याओं का समाधान शान्तिपूर्ण तरीकों से करती है। लोकतन्त्र विश्व शान्ति, मानवता तथा प्रेम के मार्ग को प्रशस्त करता है।
प्रश्न 5. “लोकतान्त्रिक शासन व्यवस्था अन्य शासन व्यवस्थाओं से बेहतर है।” कारणों को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर : लोकतान्त्रिक शासन व्यवस्था अन्य शासन व्यवस्थाओं से बेहतर है- किसी भी समाज में लोगों के हितों और विचारों में अन्तर होता है।
भारत की तरह अधिक सामाजिक विविधता वाले देश में इस तरह का अन्तर और भी ज्यादा होता है। भारत में विभिन्न भाषा, क्षेत्र, जाति, धर्म के लोग रहते हैं। इनके रहन-सहन में भी अन्तर है। एक समूह की पसन्द और दूसरे समूह की पसन्द में टकराव भी होता है। लोकतन्त्र इस समस्या का एकमात्र शान्तिपूर्ण समाधान उपलब्ध कराता है। लोकतान्त्रिक सरकार विभिन्न सामाजिक समूहों के बीच सामंजस्य कराती है।
लोकतान्त्रिक व्यवस्था में नागरिक अधिकार और सम्मान में वृद्धि होती है। – लोकतन्त्र में अन्य शासकीय व्यवस्थाओं की तुलना में नागरिक की स्थिति अच्छी होती है। लोकतन्त्र राजनीतिक समानता के सिद्धान्त पर आधारित है, यहाँ सबसे गरीब और अनपढ़ को भी वही दर्जा प्राप्त है जो अमीर और पढ़े-लिखे लोगों को है। लोग किसी शासक की प्रजा न होकर खुद अपने शासक हैं।
वर्णनात्मक प्रश्नोत्तर-2▼
प्रश्न 1. ‘लोकतन्त्र’ से आप क्या समझते हैं? इसे उत्तरदायी, जिम्मेदार एवं वैध शासन क्यों माना जाता है?
उत्तर : लोकतन्त्र
“लोकतन्त्र शासन का वह रूप है जिसमें लोग अपने शासकों का चुनाव स्वयं करते हैं।”
लोकतन्त्र में नागरिकों के मध्य स्वतन्त्रता, समानता और व्यक्ति की गरिमा को बढ़ावा दिया जाता है।
लोकतान्त्रिक शासन में सबसे बड़ी चिन्ता यह होती है कि लोगों का अपना शासक चुनने का अधिकार और शासकों पर नियन्त्रण बना रहे। समय और आवश्यकता के अनुसार यथासम्भव इन चीजों के लिए लोगों को निर्णय प्रक्रिया में भागीदारी करने में सक्षम होना चाहिए ताकि लोगों के प्रति जिम्मेदार सरकार बन सके और सरकार जनता की उम्मीदों और जरूरतों पर ध्यान दे।
लोकतन्त्र में इस बात की पक्की व्यवस्था होती है कि सरकार के फैसले कायदे-कानून के अनुसार होंगे। अगर कोई नागरिक यह जानना चाहे कि निर्णय लेने में नियमों का पालन हुआ है या नहीं, तो उसके पास इसके साधन भी उपलब्ध होने चाहिए। इसे पारदर्शिता कहते हैं। लोकतान्त्रिक सरकार नागरिकों को निर्णय प्रक्रिया में हिस्सेदार बनाने और खुद को उनके प्रति जवाबदेह बनाने वाली कार्यविधि विकसित कर लेती है।
नियमित और निष्पक्ष चुनाव, प्रमुख नीतियों और नए कानूनों पर खुली सार्वजनिक चर्चा और सरकारी कामकाज के बारे में जानकारी पाने का, नागरिकों को सूचना का अधिकार भी प्राप्त है।
बहरहाल लोकतान्त्रिक शासन व्यवस्था, सुस्त, कम कार्य-कुशल और कुछ हद तक भ्रष्टाचारी हो सकती है, लोगों की जरूरतों की अनदेखी कर सकती है किन्तु यह निश्चित रूप से अन्य शासनों से बेहतर है। यह वैध शासन व्यवस्था है।
प्रश्न 2. लोकतन्त्र किन स्थितियों में सामाजिक विविधता को सँभालता है तथा उनके बीच सामंजस्य बैठाता है?
उत्तर : लोकतन्त्र में सामाजिक विविधताओं को सँभालना–
लोकतन्त्र निम्नलिखित स्थितियों में सामाजिक विविधता को सँभालने का प्रयास करता है-
(1) विश्व के अधिकांश देशों में, जिनमें लोकतान्त्रिक व्यवस्था को अपनाया गया है, अनेक प्रकार की सामाजिक विविधताएँ देखने को मिलती हैं। लोकतन्त्र शान्तिपूर्ण एवं सद्भावना के वातावरण में सामाजिक विभिन्नताओं को उचित स्थान देता है, उन्हें अपनाता है। भारत तथा बेल्जियम दोनों ही लोकतान्त्रिक देश हैं। इन दोनों देशों में भाषा तथा संस्कृति के आधार पर विविधताएँ देखने को मिलती हैं। परन्तु लोकतान्त्रिक शासन पद्धति ने भाषा तथा संस्कृति की समस्याओं का समाधान संविधान के प्रावधानों के अधीन किया है जिसमें दोनों ही देशों को पर्याप्त सफलता प्राप्त हुई है।
(2) लोकतन्त्र में वार्तालाप, विचार-विमर्श तथा वाद-विवाद के आधार पर निर्णय लिया जाता है। लोकतन्त्र में सामान्यतया प्रतियोगिता सम्पन्न कराने के लिए एक तरीका विकसित कर लिया जाता है। इससे लोगों के मध्य तनाव कम होते हैं जिससे हिंसा भड़कने अथवा रक्तपात होने की सम्भावनाएँ क्षीण हो जाती हैं।
(3) लोकतन्त्र में सामाजिक विविधताओं से उत्पन्न समस्याओं का समाधान करने की क्षमता निहित होती है। राज्य की अत्यधिक जनसंख्या होने के कारण व्यक्तियों के आचार-विचार, हित, दृष्टिकोण तथा दर्शन भिन्न-भिन्न होते हैं। इनके बीच सामंजस्य स्थापित करने के लिए लोकतान्त्रिक व्यवस्था ही सर्वथा उपयुक्त है।
(4) इसका भी अनुभव किया जा सकता है कि विभिन्न सामाजिक समूहों में पूर्णतया तथा स्थायी तौर पर संघर्षों अथवा टकरावों को सदैव के लिए कोई भी समाज हल नहीं कर सकता परन्तु यह निश्चित रूप से कहा जा सकता है कि हम विभिन्नताओं को शान्तिपूर्ण तरीके से सुन सकते हैं, विविधताओं को यथोचित सम्मान दे सकते हैं तथा लोकतान्त्रिक तरीके से ऐसी व्यवस्था विकसित कर सकते हैं, जिसके द्वारा मतभेदों को आसानी से सुलझाया जा सकता है।
(5) लोकतान्त्रिक शासन व्यवस्था विभिन्न विचारों के बीच तभी सामंजस्य स्थापित करने में सफल हो सकती है जब बहुसंख्यक समुदाय अल्पसंख्यकों की राय तथा विचारों को सुने तथा समझे। लोकतन्त्र को भाषायी, जातिगत तथा धार्मिक अल्पसंख्यकों को देश में उचित स्थान तथा संम्मानजनक स्थिति प्रदान करनी चाहिए। अल्पसंख्यकों को भी देश के सवर्वोच्च पद या सम्मान प्राप्त होने चाहिए। यदि जन्म के आधार पर किसी व्यक्ति को बहुसंख्यक स्थिति में आने से रोक दिया जाता है तो हम यह मानते हैं कि ऐसे लोगों या ऐसे समूहों को सदैव के लिए बहुमत की स्थिति में आने से रोक दिया जाता है।
उपर्युक्त विवरण से स्पष्ट है कि लोकतन्त्र अपनी विभिन्न विशिष्टताओं द्वारा सामाजिक विविधता को सँभालता है और उनके बीच सामंजस्य स्थापित करता है।
प्रश्न 3. लोकतन्त्र के आदर्शों, सिद्धान्तों एवं नियमों को कार्यान्वित करने अथवा व्यावहारिक स्वरूप प्रदान करने के लिए आवश्यक दशाओं (परिस्थितियों) की विवेचना कीजिए।
उत्तर : लोकतन्त्र के लिए आवश्यक दशाएँ-
लोकतन्त्र के आदर्शों, सिद्धान्तों एवं नियमों को लागू करने के लिए निम्नलिखित आवश्यक दशाएँ हैं-
- शिक्षा एवं साक्षरता का उच्च स्तर- लोकतन्त्र उन राष्ट्रो अथवा समाजों में अच्छी तरह से फल-फूल सकता है जहाँ लोग अधिक संख्या में साक्षर और शिक्षित होते हैं। शिक्षित व्यक्ति ही मत के मूल्य को समझते हैं तथा ऐसे उम्मीदवार के पक्ष में मतदान करते हैं जो योग्य, कुशल तथा चरित्रवान हो। पढ़े-लिखे व्यक्ति ही चुनाव के समय राजनीतिक दलों द्वारा जारी किए गए घोषणा पत्रों का विश्लेषण कर सकते हैं। शिक्षित व्यक्ति ही जागरूक तथा स्वस्थ जनमत का निर्माण कर सकते हैं। अशिक्षित जनता को देश की समस्याओं का उचित ज्ञान भी नहीं होता है।
- सहनशीलता-लोकतन्त्र सहमति का शासन है। लोकतन्त्र में विचारों में विभिन्नता होना स्वाभाविक है क्योकि प्रत्येक व्यक्ति को स्वतन्त्र रूप से अपने को अभिव्यक्त करने की स्वतन्त्रता प्राप्त होती है। लोकतन्त्र में आलोचना तथा प्रत्यालोचना का वातावरण बना रहता है। अतः लोकतान्त्रिक व्यवस्था तभी उचित रूप से कार्य कर सकती है जबकि लोगों में सहनशीलता, सहयोग अथवा सामंजस्य करने की क्षमता विद्यमान हो।
- आर्थिक समानता- यदि समाज में गरीबी, बेरोजगारी तथा भुखमरी की स्थिति व्याप्त है तो उसमें लोकतन्त्र का सफल संचालन बाधित हो जाता है। अतः लोकतन्त्र के लिए गरीब-अमीर की खाई बहुत चौड़ी नहीं होनी चाहिए। गरीब व्यक्ति अपने मत का सही प्रयोग नहीं कर सकता। अधिकांश गरीब लोग धन के लालच में अपने मतों को बेच देते हैं। अतः लोकतन्त्र की सफलता के लिए जनता का आर्थिक स्तर ऊँचा होना चाहिए। विद्वानों का यह मत उचित प्रतीत होता है कि आर्थिक समानता के विना राजनीतिक स्वतन्त्रता का कोई मूल्य नहीं है।
- शान्ति तथा सुव्यवस्था का वातावरण- देश के आर्थिक विकास के लिए समाज में कानून व्यवस्था तथा शान्ति की आवश्यकता होती है। लोकतन्त्र ऐसे देश में सफल नहीं होता है जहाँ हर समय क्रान्ति, हिंसा, उपद्रव तथा अशान्ति का वातावरण विद्यमान हो।
- विचारों को अभिव्यक्त करने की स्वतन्त्रता- लोकतन्त्र तभी सम्भव हो सकता है जब नागरिकों को बिना किसी भेदभाव के स्वतन्त्र रूप से विचारों को अभिव्यक्त करने का अधिकार हो, व्यक्ति को स्वतन्त्र रूप से मतदान का अधिकार हो, प्रेस तथा जनसंचार के साधनों को पूर्ण स्वायत्तता हो।
- स्थानीय स्वायत्त शासन को प्रोत्साहन – लोकतन्त्र को सफल बनाने के लिए स्थानीय स्वायत्त शासन को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। लोकतन्त्र को सतही स्वर (Grass-root level) पर लागू करके ही उसको मजबूत बनाया जा सकता है