भारत माता का मन्दिर यह: मैथिलीशरण गुप्त -पद्यांशों की सन्दर्भ-सहित व्याख्या | Class 10

मैथिलीशरण गुप्त का जीवन परिचय

नहीं चाहिए बुद्धि बैर की
भला प्रेम का उन्माद यहाँ
सबका शिव कल्याण यहाँ है,
पावें सभी प्रसाद यहाँ।
सब तीर्थों का एक तीर्थ यह
हृदय पवित्र बना लें हम
आओ यहाँ अजातशत्रु बनें,
सबको मित्र बना लें हम ।
रेखाएँ प्रस्तुत हैं, अपने
मन के चित्र बना लें हम।
सौ-सौ आदर्शों को लेकर
एक चरित्र बना लें हम।

पद्यांश 2

भारत माता का मन्दिर यह
सबका शिव कल्याण यहाँ है
जाति-धर्म या सम्प्रदाय का,
सबका स्वागत, सबका आदर
राम, रहीम, बुद्ध, ईसा का,
भिन्न-भिन्न भव संस्कृतियों के
गुण गौरव का ज्ञान यहाँ।
समता का संवाद जहाँ
पावें सभी प्रसाद यहाँ।
नहीं भेद-व्यवधान यहाँ,
सबका सम सम्मान यहाँ।
सुलभ एक सा ध्यान यहाँ,
बैठो माता के आँगन में
नाता भाई-बहन का
समझे उसकी प्रसव वेदना
वही लाल है माई का
एक साथ मिल बाँट लो
अपना हर्ष विषाद यहाँ है
सबका शिव कल्याण यहाँ है,
पावें सभी प्रसाद यहाँ।
मिला सेव्य का हमें पुजारी
सकल काम उस न्यायी का
मुक्ति लाभ कर्तव्य यहाँ है
एक-एक अनुयायी का
कोटि-कोटि कण्ठों से मिलकर
उठे एक जयनाद यहाँ
पावें सभी प्रसाद यहाँ

काव्य सौन्दर्य

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