वर्णनात्मक प्रश्नोत्तर-1▼
प्रश्न 1. ईस्ट इण्डिया कम्पनी ने भारत में बुनकरों पर निगरानी रखने के लिए गुमाश्तों को क्यों नियुक्त किया था?
अथवा ईस्ट इण्डिया कम्पनी ने भारतीय बुनकरों से सूती और रेशमी कपड़े की नियमित आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए क्या किया?
उत्तर : भारत के बुनकर न केवल ईस्ट इण्डिया कम्पनी के लिए मोटा कपड़ा बुनते थे, बल्कि अन्य यूरोपीय कम्पनियों के साथ-साथ भारतीय व्यापारियों के लिए भी इस प्रकार का कपड़ा बनाते थे। ईस्ट इण्डिया कम्पनी कपड़ा उत्पादन और व्यापार एकाधिकार पर नियन्त्रण करना चाहती थी और कपड़े की नियमित आपूर्ति चाहती थी। अतः उसने गुमाश्तों की नियुक्ति की जो बुनकरों की निगरानी रखते थे और कच्चा माल खरीदने के लिए उन्हें पेशगी के रूप में ऋण देते थे।
प्रश्न 2. औद्योगिक क्रान्ति के प्रमुख कारण क्या थे?
उत्तर : औद्योगिक क्रान्ति के प्रमुख कारण निम्नलिखित थे-
- (1) उपनिवेशों की स्थापना।
- (2) वस्तुओं की माँग में वृद्धि।
- (3) सस्ते श्रम की उपलब्धता।
- (4) पूँजी की सुलभता।
- (5) विज्ञान का विकास ।
- (6) चालक शक्ति का विकास
- प्रश्न 3. अठारहवीं सदी के अन्त में भारत से कपड़ा निर्यात में गिरावट क्यों आई? दो कारण बताइए। [2023 EX]
उत्तर : अठारहवीं सदी के अन्त में भारत के सूती कपड़ा उद्योग की गिरावट के मुख्य कारण निम्नलिखित थे-
- विदेशी वस्त्र उत्पादों के आयात से बुनकरों का निर्यात बाजार धराशायी हो गया।
- भारतीय बाजारों में मैनचेस्टर निर्मित वस्त्र उत्पादों के बड़े पैमाने पर आयात से इनका स्थानीय बाजार तेजी से सिकुड़ने लगा।
- कम लागत पर मशीनों से बनने वाले कपास उत्पाद इतने सस्ते होते थे कि भारतीय बुनकर उनका मुकाबला नहीं कर सकते थे।
- अमेरिका में गृहयुद्ध प्रारम्भ होने के कारण जब वहाँ से कपास आना बन्द हो गया तो ब्रिटेन भारत से कच्चा माल मँगाने लगा। भारत से कच्चे कपास के निर्यात में इस वृद्धि से उसकी कीमतें आसमान छूने लगी। भारतीय बुनकरों को कच्चे माल के लाले पड़ गए। उन्हें अधिक मूल्य पर कच्चा कपास खरीदना पड़ता था। ऐसी दशा में बुनकर कला से परिवार का भरण-पोषण करना कठिन था।
प्रश्न 4. पहले विश्वयुद्ध के समय भारत का औद्योगिक उत्पादन क्यों बढ़ा?
अथवा प्रथम विश्वयुद्ध का भारत के उद्योगों पर क्या प्रभाव पड़ा? उत्तर : प्रथम विश्वयुद्ध के समय निम्नलिखित कारणों से भारत का औद्योगिक उत्पादन बढ़ा-
- (1) ब्रिटेन के कल-कारखाने सेना की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए युद्ध सम्बन्धी उत्पाद में व्यस्त थे, इसलिए भारत में उपभोक्ता वस्तुओं और कपड़े का आयात कम हो गया और देश का औद्योगिक उत्पादन बढ़ गया।
- (2) भारतीय उद्योगों के लिए यह एक अच्छा अवसर था। उन्हें इतनी जल्दी एक विशाल देशी बाजार मिल गया था। इस प्रकार औद्योगिक उत्पादन बढ़ गया।
- (3) युद्ध दीर्घकाल तक चला तो भारतीय कारखानों में भी फौज के लिए जूट की बोरियाँ, फौजियों की वर्दी बनाने के लिए कपड़ा, टैण्ट, चमड़े के जूते, घोड़े व खच्चर की जीन तथा बहुत सारे अन्य सामान बनने लगे।
- (4) बढ़ती माँग के कारण नये कारखाने लगाए गए। पुराने कारखाने कई पालियों में चलने लगे।
- (5) तमाम नये मजदूरों को काम पर रखा गया और प्रत्येक को पहले से भी अधिक समय तक काम करना पड़ता था।
वर्णनात्मक प्रश्नोत्तर-2▼
प्रश्न 1. “19वीं सदी में औद्योगिक क्रान्ति, मिश्रित वरदान सिद्ध हुई।” इस कथन पर अपने विचार व्यक्त कीजिए।
अथवा औद्योगिक क्रान्ति के लाभ संक्षेप में लिखिए।
उत्तर : औद्योगिक क्रान्ति से निम्नलिखित लाभ हुए-
- उत्पादन क्षमता में वृद्धि- नवीन खोजों के परिणामस्वरूप उत्पादन की नवीन तकनीकों का विकास भी होता रहता था, जिससे उत्पादनं क्षमता में निरन्तर वृद्धि होती रहती थी। अतः औद्योगिक क्रान्ति के फलस्वरूप वस्तुओं की उत्पादन क्षमता कई गुना बढ़ गई।
- यातायात में विशेष सुविधा- औद्योगिक क्रान्ति से यातायात के साधनों का तेजी से विकास हुआ। यातायात के ऐसे नवीन साधनों का निर्माण और खोज होने लगी थी जो तीव्र गति से कार्य करते हों। इस प्रकार इस क्रान्ति के फलस्वरूप यातायात अधिक सुगम और विकसित हो गया।
- विज्ञान की प्रगति- औद्योगिक साधनों के विकास के लिए विज्ञान के क्षेत्र में निरन्तर खोज चलती रही। वैज्ञानिक नई-नई प्रौद्योगिकी की खोज में प्रयत्नशील रहते थे। इन खोजों और प्रयासों के परिणामस्वरूप विज्ञान की विभिन्न शाखाएँ निरन्तर प्रगति की ओर बढ़ने लगीं।
- कृषि में सुधार- औद्योगिक क्रान्ति के परिणामस्वरूप कृषि-कार्यों के लिए नवीन यन्त्रों का प्रयोग किया जाने लगा। अभी तक कृषि अत्यधिक श्रमसाध्य थी तथा इससे उत्पादन बहुत कम होता था। यन्त्रीकरण से कृषि कार्य सरल हो गया और खाद्यान्नों की उत्पादन क्षमता में कई गुना वृद्धि हो गई। अब कृषि धीरे-धीरे व्यवसाय का रूप लेने लगी।
- सांस्कृतिक आदान-प्रदान में वृद्धि औद्योगिक क्रान्ति से अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार में वृद्धि हुई। व्यापारिक वर्ग के लोग विश्व के सभी देशों में आने-जाने लगे। इससे सांस्कृतिक आदान-प्रदान हुआ और मानव परम्परागत रूढ़ियों से मुक्त हो गया।
- दैनिक जीवन में सुख-सुविधा के साधनों में वृद्धि – मानव के दैनिक जीवन में भौतिक साधनों के सुलभ हो जाने से विशेष सुख-सुविधा का वातावरण बना। मानव को दैनिक जीवन के कार्यों की पूर्ति हेतु विशेष सुविधाएँ प्राप्त हुईं, जिन्होंने नागरिकों के जीवन स्तर को परिष्कृत रूप प्रदान किया। अब उनका जीवन सुख-सुविधाओं से परिपूर्ण होता चला गया।
- समाजवादी विचारधारा का जन्म – औद्योगिक क्रान्ति का एक अन्य लाभकारी परिणाम यह हुआ कि श्रमिकों के माध्यम से समाजवाद का जन्म हुआ। समाजवाद ने मानव को अपने अधिकारों के प्रति अत्यधिक सजग बनाया। इससे मानवीय स्वतन्त्रता के सिद्धान्त को विशेष बल मिला।
- नगरों का विकास औद्योगिक प्रतिष्ठानों की स्थापना के कारण नये-नये नगरों की स्थापना हुई। नगरों में जनसंख्या बढ़ने से वहाँ के आकार में वृद्धि हुई। नगर उद्योग तथा वाणिज्य के केन्द्र बन गए। इस प्रकार नगरीकरण की प्रक्रिया तीव्र हो गई। उपर्युक्त लाभों से स्पष्ट है कि 19वीं सदी में हुई औद्योगिक क्रान्ति, मिश्रित वरदान सिद्ध हुई।